हिजाब बैन पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Shahadat

6 Aug 2024 6:03 AM GMT

  • हिजाब बैन पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    मुंबई कॉलेज में हिजाब प्रतिबंध बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। मुंबई के प्राइवेट कॉलेज में स्टूडेंट द्वारा परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।

    मंगलवार को जब याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने इस मामले के लिए पहले ही एक पीठ नियुक्त कर दी है और इसे आने वाले दिनों में जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा।

    याचिकाकर्ताओं के वकील ने तत्काल सुनवाई का हवाला देते हुए कहा कि यूनिट टेस्ट जल्द ही होंगे।

    26 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज के अधिकारियों द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली नौ स्टूडेंट द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें स्टूडेंट को परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पहनने से प्रतिबंधित किया गया।

    जस्टिस ए.एस. चंदुरकर और जस्टिस राजेश एस. पाटिल की खंडपीठ ने कहा,

    "ड्रेस कोड निर्धारित करने के पीछे उद्देश्य निर्देशों से स्पष्ट है, क्योंकि वे कहते हैं कि इरादा यह है कि किसी स्टूडेंट का धर्म प्रकट नहीं होना चाहिए। यह स्टूडेंट के व्यापक शैक्षणिक हित में है। साथ ही कॉलेज के प्रशासन और अनुशासन के लिए भी है कि यह उद्देश्य प्राप्त किया जाए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्टूडेंट से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शैक्षणिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए उचित निर्देश प्राप्त करने के लिए शैक्षणिक संस्थान में उपस्थित हों। ड्रेस कोड का पालन करने का आग्रह कॉलेज परिसर के भीतर है और याचिकाकर्ताओं की पसंद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अन्यथा प्रभावित नहीं किया जाता।"

    न्यायालय ने रेशम बनाम कर्नाटक राज्य में कर्नाटक हाईकोर्ट के फुल बेंच के निर्णय का उल्लेख किया, जिसने हिजाब छोड़कर ड्रेस कोड निर्धारित करने वाले सरकारी आदेश को बरकरार रखा।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "हम पूर्ण पीठ द्वारा व्यक्त किए गए दृष्टिकोण से सम्मानपूर्वक सहमत हैं कि ड्रेस कोड निर्धारित करने का उद्देश्य स्कूल/कॉलेज में स्टूडेंट के बीच एकरूपता प्राप्त करना है, जिससे अनुशासन बनाए रखा जा सके और किसी के धर्म का खुलासा न हो।"

    अक्टूबर 2022 में खंडपीठ द्वारा विभाजित फैसला सुनाए जाने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

    सेकेंड एंड थर्ड ईयर ग्रेजुएट कोर्स में अध्ययनरत याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर ड्रेस कोड को चुनौती दी कि परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पर प्रतिबंध उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। विवादित ड्रेस कोड के तहत स्टूडेंट की पोशाक औपचारिक और शालीन होनी चाहिए और किसी भी स्टूडेंट के धर्म का खुलासा नहीं करना चाहिए।

    छात्रों ने तर्क दिया कि ड्रेस कोड मनमाना और भेदभावपूर्ण है, जो उनके पोशाक चुनने के अधिकार, उनकी निजता के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उनके धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

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