EVM-VVPAT डेटा के 100% क्रॉस-वेरिफिकेशन को लेकर एक और याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग

Shahadat

13 May 2024 12:07 PM GMT

  • EVM-VVPAT डेटा के 100% क्रॉस-वेरिफिकेशन को लेकर एक और याचिका दायर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग

    EVM-VVPAT मामले में फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने उक्त फैसले में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) रिकॉर्ड के साथ EVM डेटा के 100% क्रॉस-वेरिफिकेशन की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया था।

    उल्लेखनीय है कि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने 26 अप्रैल को इस मामले में दो अलग-अलग सहमति वाले फैसले दिए थे, जबकि सिंबल लोडिंग यूनिट्स को सील करने और प्रति विधानसभा क्षेत्र में 5% जले हुए मेमोरी माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन से संबंधित दो निर्देश जारी किए थे।

    उक्त फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिकाकर्ता-अरुण कुमार अग्रवाल ने वर्तमान याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि इसमें स्पष्ट त्रुटियां हैं।

    पुनर्विचार याचिका में कहा गया,

    "यह कहना सही नहीं है कि परिणाम में अनुचित रूप से देरी होगी, या आवश्यक जनशक्ति पहले से तैनात की तुलना में दोगुनी होगी... मतगणना हॉल की मौजूदा सीसीटीवी निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि वीवीपैट पर्ची गिनती में हेरफेर और शरारत न हो।

    अग्रवाल का मामला है कि एसएलयू असुरक्षित हैं और उनका ऑडिट किए जाने की जरूरत है, लेकिन अदालत ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

    उन्होंने पुनर्विचार याचिका में दावा किया,

    "इस माननीय न्यायालय ने इस संभावना को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया कि एसएलयू में डेटा में केवल आवश्यक छवियों के अलावा अतिरिक्त बाइट भी हो सकते हैं।"

    याचिका वकील नेहा राठी के माध्यम से दायर की गई।

    मामले की पृष्ठभूमि

    एनजीओ-एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, अभय भकचंद छाजेड़ और अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा याचिकाओं का एक बैच दायर किया गया, जिसमें प्रार्थना की गई कि प्रचलित प्रक्रिया के बजाय, जहां चुनाव आयोग प्रत्येक में केवल 5 यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों में VVPAT के साथ EVM वोटों को क्रॉस-वेरिफिकेशन करता है। विधानसभा क्षेत्र के सभी VVPAT का सत्यापन कराया जाए। उन्होंने आगे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग की कि वोट को 'डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया जाए' और 'रिकॉर्ड किए गए वोट के रूप में गिना जाए'।

    ECI ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि यह 'अस्पष्ट और निराधार' आधार पर EVM और VVPAT की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि सभी VVPAT पेपर पर्चियों को मैन्युअल रूप से गिनना, जैसा कि सुझाव दिया गया, न केवल श्रम और समय-गहन होगा, बल्कि 'मानवीय त्रुटि' और 'शरारत' का भी खतरा होगा।

    ECI का यह भी कहना था कि EVM से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और मतदाताओं के पास ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया।

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