मध्य प्रदेश लोकायुक्त नियुक्ति के खिलाफ याचिका: चयन पैनल के सदस्यों के बीच प्रभावी परामर्श के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगा सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

23 March 2024 5:25 AM GMT

  • मध्य प्रदेश लोकायुक्त नियुक्ति के खिलाफ याचिका: चयन पैनल के सदस्यों के बीच प्रभावी परामर्श के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगा सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 मार्च) को मध्य प्रदेश के विपक्षी नेता उमंग सिंघार द्वारा राज्य के लोकायुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर मध्य प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया।

    ऐसा करते समय,न्यायालय ने पाया कि लोकायुक्त की नियुक्ति में परामर्श प्रक्रिया के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाना महत्वपूर्ण है।

    मध्य प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोपायुक्त अधिनियम 1981 के अनुसार, राज्यपाल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता के परामर्श से लोकायुक्त की नियुक्ति करेंगे।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि विपक्ष के नेता राज्य के राज्यपाल द्वारा परामर्श प्रक्रिया में शामिल नहीं थे।

    यह प्रस्तुत किया गया कि राज्यपाल और चीफ जस्टिस द्वारा तीन नामों में से एक को अंतिम रूप देने के बाद उक्त नाम विपक्षी नेता को भेज दिया गया। इसलिए याचिकाकर्ता की राय लेने से पहले ही नाम तय कर लिया गया और खाली औपचारिकता के तौर पर नाम उनके पास भेज दिया गया।

    इस पर ध्यान देते हुए सीजेआई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मापदंडों को स्थापित करने की आवश्यकता है।

    सीजेआई ने कहा,

    "इसका एक तरह से देशव्यापी प्रभाव है। क्योंकि, लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया क्या होनी चाहिए, जब क़ानून में प्रावधान है कि विपक्ष के नेता को सदस्य होना चाहिए... कुछ प्रक्रियात्मक तौर-तरीके तय करने होंगे। इस अर्थ में कि आपको उस व्यक्ति को नामों पर चर्चा करने की स्थिति में होने का अवसर देना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता है कि पिछले दिन उससे कहा जाए कि आप इस आदमी को सहमति देते हैं।"

    मप्र राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि शुरुआत में अनुमोदन के लिए मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टि सके समक्ष केवल एक नाम रखा गया। हालांकि, चीफ जस्टिस ने राज्यपाल से विचार के लिए एक नाम के बजाय तीन उपयुक्त नामांकन प्रस्तावित करने को कहा। बाद में सुझाए गए तीन नामों में से चीफ जस्टिस ने प्रारंभिक एकल प्रस्तावित नाम को मंजूरी नहीं दी, बल्कि दूसरे को प्राथमिकता दी। इसके बाद चयनित नाम को विपक्ष के नेता के समक्ष रखा गया।

    उन्होंने आगे कहा,

    "तथ्य जो रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया, वह यह है कि हमने माननीय चीफ जस्टिस से परामर्श किया, चीफ जस्टिस ने नाम का चयन किया.... उसके बाद पूरी फाइल विपक्ष के नेता को भेजी जाती है, जिसका उल्लेख नहीं किया गया। इसके बाद माननीय माननीय मुख्यमंत्री उन्हें टेलीफोन पर बुलाते हैं और 15 मिनट तक चर्चा होती है, जिसका उल्लेख नहीं किया गया है...कृपया मेरा बयान दर्ज करें और सत्यापित करें।''

    हालांकि, सिब्बल ने कहा कि विपक्षी नेता को कोई फ़ाइल नहीं भेजी गई।

    उन्होंने कहा,

    "नहीं, नहीं, यह सही नहीं है। कोई फ़ाइल नहीं भेजी गई, माई लॉर्ड्स, हमने इसे रिकॉर्ड में डाल दिया।"

    पीठ ने आदेश में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए मामले पर नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की:

    "देशव्यापी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए ऐसे मामलों में प्रभावी परामर्श आयोजित करने के लिए पैरामीटर निर्धारित करना उचित होगा। नोटिस जारी करें।"

    एमपी राज्य को 2 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया। अब होली की छुट्टी के बाद मामले की विविध सुनवाई होगी।

    म.प्र. लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1981 की धारा 3 राज्य लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया को निम्नानुसार निर्धारित करती है:

    3. लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त की नियुक्ति - (1) इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जांच करने के उद्देश्य से राज्यपाल अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा एक व्यक्ति को लोकायुक्त के रूप में जाना जाएगा और एक या अधिक व्यक्तियों को उप-लोकायुक्त के रूप में जाना जाएगा:

    (ए) लोकायुक्त की नियुक्ति [मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और] विधान सभा में विपक्ष के नेता, या यदि ऐसा कोई नेता नहीं है, तो सदस्यों द्वारा इस संबंध में चुने गए व्यक्ति के परामर्श के बाद की जाएगी। उस सदन में विपक्ष का उस तरीके से, जैसा स्पीकर निर्देशित करे;

    [(बी) उप-लोकायुक्त की नियुक्ति लोकायुक्त के परामर्श के बाद की जाएगी, या जहां हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की नियुक्ति की जानी है, उस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जिसमें वह कार्यरत है, से भी परामर्श किया जाएगा।]

    केस टाइटल: उमंग सिंघार बनाम मध्य प्रदेश राज्य W.P.(C) नंबर 000179 - / 2024

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