पेटेंट एक्ट प्रतिस्पर्धा अधिनियम पर हावी? सुप्रीम कोर्ट ने CCI की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

2 March 2024 5:05 AM GMT

  • पेटेंट एक्ट प्रतिस्पर्धा अधिनियम पर हावी? सुप्रीम कोर्ट ने CCI की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने आज (1 मार्च) दिल्ली हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में कहा गया कि पेटेंट एक्ट, 1970 (Patents Act) को पेटेंटधारी द्वारा अधिकारों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 पर लागू किया जाना चाहिए। न्यायालय ऐसे पेटेंट का दुरुपयोग होने पर जांच करने में प्रतिस्पर्धा आयोग की शक्तियों के विपरीत पेटेंटधारक के अधिकार की कानूनी बारीकियों पर विचार करेगा।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले पर विचार किया।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2023 में बहुराष्ट्रीय संस्थाओं एरिक्सन और मोनसेंटो द्वारा CCI द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देने वाली अपीलों पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया। CCI द्वारा भी अपील दायर की गई।

    अपीलों में सामान्य प्रश्न उठाया गया,

    "जब भारत में पेटेंट जारी किया जाता है और पेटेंटधारक ऐसे अधिकारों का दावा करता है तो क्या CCI प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग में ऐसे पेटेंटधारक के कार्यों की जांच कर सकता है?"

    अपील की अनुमति देते हुए हाईकोर्ट की पीठ ने कहा,

    “विधायी मंशा इसमें स्पष्ट है कि पेटेंट एक्ट- विशेष रूप से 2003 के संशोधन द्वारा संशोधित किया गया, जिसमें प्रतिस्पर्धा अधिनियम लागू होने के बाद अध्याय XVI पेश किया गया। यह विशेष रूप से पेटेंट से संबंधित क्षेत्र के लिए है, लाइसेंसिंग के समझौतों में अनुचित शर्तें, पेटेंटधारक के रूप में स्थिति का दुरुपयोग, उसके संबंध में जांच और उसके लिए दी जाने वाली राहत सभी पेटेंट एक्ट द्वारा शासित होते हैं।

    भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस न्यायालय के समक्ष विचार के दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं - 1. पेटेंट से निकलने वाले अधिकार का अस्तित्व और 2. परिणामी अधिकार का निष्पादन प्रमुख पद के दुरुपयोग में।

    उपरोक्त बिंदुओं का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे बताया,

    “प्रतिस्पर्धा कानून का मसौदा तैयार करते समय आईपीआर पर राघवन समिति द्वारा ये दो शब्द इस्तेमाल किए गए। वे दो अलग-अलग कानूनी अवधारणाएं हैं। पेटेंट कानून में आप किसी अधिकार के अस्तित्व का पता लगा सकते हैं। किसी अधिकार के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप सार्वजनिक डोमेन का दुरुपयोग होता है और यह रेम का विषय है।

    उन्होंने आग्रह किया कि हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर CCI को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया।

    बहुराष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने प्रस्तुत किया - 1. प्रतिवादियों के खिलाफ शुरू की गई शिकायत (जिसके कारण CCI जांच हुई) को हाईकोर्ट के फैसले से पहले वापस ले लिया गया; 2. विचाराधीन पेटेंट समाप्त हो गया, जिसका अर्थ है कि यह रेस पब्लिसिस ज्यूरिस है; 3. पेटेंट ख़त्म होने के बाद कोई सीज़न ऑर्डर नहीं दिया जा सकता और किसी नुकसान का दावा नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि वर्तमान मामले को निष्फल मानकर निपटा दिया जाए।

    "यह वास्तव में एक मृत मामला है"

    पीठ ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा,

    'ठीक है, हम नोटिस जारी करेंगे।'

    मामला अब 4 सप्ताह बाद सूचीबद्ध हुआ।

    केस टाइटल- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग बनाम मोनसेंटो होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड | अपील के लिए विशेष अनुमति के लिए याचिका (सी) नंबर 25026/2023

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