Order 8 Rule 6A CPC | प्रतिदावा केवल वादी के विरुद्ध दायर किया जा सकता है, सह-प्रतिवादी के विरुद्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
Shahadat
12 Nov 2025 10:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि प्रतिवादी द्वारा सह-प्रतिवादियों के विरुद्ध प्रतिदावा दायर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रतिदावा केवल वादी के विरुद्ध उस वाद-कारण पर दायर किया जा सकता है, जो वादी द्वारा दायर किए गए वाद-कारण से संबंधित या उससे संबद्ध हो।
जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की खंडपीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के उस निर्णय को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें प्रतिवादी द्वारा सह-प्रतिवादी के विरुद्ध प्रतिदावा दायर करने की अनुमति दी गई।
हाईकोर्ट का यह तर्क कि प्रतिदावा कार्यवाही की बहुलता से बच जाएगा, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सीपीसी के आदेश VIII के तहत सह-प्रतिवादी के विरुद्ध प्रतिदावा दायर करना अनुचित है।
यह मामला अपीलकर्ता द्वारा प्रतिवादी युगल किशोर प्रसाद साओ के विरुद्ध 0.93 एकड़ भूमि के संबंध में दायर विशिष्ट निष्पादन के मुकदमे से उत्पन्न हुआ था। अपीलकर्ता ने 2 दिसंबर, 2002 के मौखिक समझौते का दावा किया, जिसमें डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से पूरी राशि का भुगतान किया गया था और उस संपत्ति पर अपना कब्ज़ा जताया, जहां उसने एक चारदीवारी बनवाई थी।
कार्यवाही के दौरान, मूल प्रतिवादी द्वारा दावा किए जाने के बाद कि उनके पास वाद की संपत्ति का एक हिस्सा है, दो अतिरिक्त प्रतिवादियों को भी पक्षकार बनाया गया। इन नए शामिल प्रतिवादियों ने फिर मूल प्रतिवादी के विरुद्ध एक प्रतिदावा दायर किया, जिसमें संपूर्ण संपत्ति के लिए विशिष्ट निष्पादन की मांग की गई।
जस्टिस चंद्रन द्वारा रोहित सिंह एवं अन्य बनाम बिहार राज्य, (2006) 12 एससीसी 734 का हवाला देते हुए लिखे गए फैसले में कहा गया कि सह-प्रतिवादी के विरुद्ध प्रतिदावा कायम नहीं रह सकता और इसे खारिज किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त प्रतिवादियों को पक्षकार बनाए जाने से ही मुकदमे में आवश्यक पक्षकार न बनाए जाने के दोष से बचाव संभव हो पाया; अन्यथा, सह-प्रतिवादी के विरुद्ध उनके द्वारा दायर प्रतिदावा टिक नहीं पाता।
तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई।
Cause Title: SANJAY TIWARI vs. YUGAL KISHORE PRASAD SAO & ORS

