भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
8 Nov 2025 8:57 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने लगभग तीन दशक पहले अधिग्रहित भूमि के बदले रोजगार की मांग करने वाली याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 में ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया गया और मुआवजे का भुगतान राज्य के दायित्व को पूरी तरह से पूरा करता है।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी पारिवारिक भूमि 1998 में भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित की गई। याचिकाकर्ता, जिसका अधिग्रहण के समय जन्म भी नहीं हुआ था, उसने 2025 में अनुकंपा के आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्ति की मांग की थी और दावा किया कि यह अधिग्रहण से प्राप्त अधिकार है।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि परिवार को कानून के अनुसार पहले ही मुआवजा मिल चुका है और अधिनियम में अधिग्रहित भूमि के बदले रोजगार प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है।
खंडपीठ ने कहा,
"अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिग्रहित की जा रही भूमि पर याचिकाकर्ता या उसका परिवार केवल पहले से भुगतान किए गए मुआवजे का ही हकदार है। अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि प्रभावित परिवारों को रोजगार प्रदान करने वाली कोई नीति पहले से मौजूद भी हो तो भी ऐसी प्रशासनिक नीति भूमि अधिग्रहण अधिनियम की वैधानिक योजना रद्द नहीं कर सकती। इसके अलावा, याचिकाकर्ता का दावा ऐसी नीति के निर्माण के 18 साल से भी अधिक समय बाद किया गया था, जिससे यह अस्वीकार्य हो जाता है।
प्राधिकारियों और हाईकोर्ट, जिन्होंने पहले याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी थी, उसके आदेशों में कोई त्रुटि या अवैधता न पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
Case Title: Sanjeev Kumar v State of Haryana and others

