हमारी अनुमति के बिना भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण के नतीजे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

1 April 2024 11:10 AM GMT

  • हमारी अनुमति के बिना भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण के नतीजे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट

    भोजशाला मंदिर सह कमल मौला मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश देने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने (01 अप्रैल को) अंतरिम आदेश पारित किया कि ASI की रिपोर्ट पर कोई भी भौतिक उत्खनन नहीं किया जाना चाहिए, जो संबंधित परिसर के चरित्र को बदल देगा।

    जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।

    चार सप्ताह में वापस करने योग्य नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि अंतरिम आदेश के तहत सर्वेक्षण के नतीजे पर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

    संक्षिप्त पृष्ठभूमि देने के लिए उक्त विवादित आदेश जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने मंदिर-मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करने वाली लंबित रिट याचिका में दायर अंतरिम आवेदन पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

    हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा दायर की गई। यह हिंदुओं की ओर से भोजशाला परिसर को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करता है। यह मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को इसके परिसर में नमाज अदा करने से रोकने की भी मांग करता है।

    भोजशाला, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित 11वीं सदी का स्मारक है, जिसे हिंदू और मुस्लिम अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। हिंदू इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला मस्जिद मानते हैं। 2003 के समझौते के अनुसार, हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को वहां नमाज अदा करते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील सलमान खुर्शीद पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि कई मुद्दे हैं, जिनमें हाईकोर्ट के समक्ष हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा दायर याचिका की सुनवाई योग्यता भी शामिल है।

    कोर्ट ने उन्हें भी नोटिस जारी करते हुए दोनों पक्षों को जवाब दाखिल करने को कहा है।

    जस्टिस रॉय ने कहा,

    'सर्वेक्षण एक बात है लेकिन चीजों को खोदने की कोशिश मत कीजिए।'

    दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने उपरोक्त आदेश पारित किया।

    गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह न केवल पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के मंदिरों सहित प्राचीन स्मारकों और संरचनाओं का संरक्षण और संरक्षण सुनिश्चित करे, बल्कि गर्भगृह का भी संरक्षण सुनिश्चित करे।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि भोजशाला मंदिर सह कमल मौला मस्जिद का जल्द से जल्द वैज्ञानिक सर्वेक्षण, अध्ययन कराना ASI का संवैधानिक और वैधानिक दायित्व है। इस उपरोक्त पृष्ठभूमि के खिलाफ, निदेशक, ASI को कई निर्देश जारी किए गए। इनमें विवादित भोजशाला मंदिर सह कमल मौला मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और खुदाई शामिल है।

    इसके अलावा, पूरे परिसर के बंद/सील कमरों और हॉलों को खोलने और प्रत्येक कलाकृति, मूर्ति, देवता या किसी भी संरचना की पूरी सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए। इन्हें संबंधित फोटोग्राफ के साथ जमा करने को कहा गया।

    केस टाइटल: मौलाना कमालुद्दीन वेल्फेयर सोसाइटी धार बनाम हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस (पंजीकृत ट्रस्ट नंबर 976) और अन्य, एसएलपी (सी) नंबर 7023/2024

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