NEET-UG 24 | सुप्रीम कोर्ट ने अत्यधिक पसीने से पीड़ित अभ्यर्थी की पुनः परीक्षा की याचिका खारिज की

Shahadat

14 Sep 2024 4:41 AM GMT

  • NEET-UG 24 | सुप्रीम कोर्ट ने अत्यधिक पसीने से पीड़ित अभ्यर्थी की पुनः परीक्षा की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश में अत्यधिक पसीने की समस्या से पीड़ित NEET UG 2024 अभ्यर्थी की याचिका खारिज की, जिसने दावा किया कि उसे परीक्षा हॉल में रूमाल ले जाने की अनुमति नहीं थी।

    याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसे हथेलियों और तलवों में अत्यधिक पसीना आने की समस्या है। याचिकाकर्ता ने 1,563 अन्य अभ्यर्थियों की तरह पुनः परीक्षा की मांग की, जिन्हें सही प्रश्नपत्र प्राप्त करने में देरी के कारण समय की हानि के कारण पुनः परीक्षा की अनुमति दी गई।

    उन्होंने दावा किया कि परीक्षा के दौरान सुरक्षा कर्मियों द्वारा रूमाल का उपयोग करने पर रोक लगाने से उन्हें बहुत असुविधा हुई। उन्होंने कहा कि इससे प्रश्नों को हल करने में कठिनाई हुई। यहां तक ​​कि उन्हें OMR शीट पर गलत उत्तर भी अंकित करना पड़ा।

    याचिकाकर्ता ने पहले राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के समक्ष अभ्यावेदन दिया, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज की कि अभ्यर्थी को परीक्षा के लिए पूरा आवंटित समय दिया गया, जबकि 1,563 अन्य अभ्यर्थियों को सही प्रश्नपत्र प्राप्त करने में देरी के कारण दोबारा परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल की बेंच ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा और निम्नलिखित बातें कही:

    (1) याचिकाकर्ता को पूरा आवंटित परीक्षा समय मिला, जबकि अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा देने की अनुमति दी गई।

    (2) परीक्षा के लिए ओएमआर शीट पर काले घेरे बनाने की आवश्यकता थी, जिसमें अन्य परीक्षाओं की तुलना में कम लिखना पड़ता है।

    न्यायालय ने हाईकोर्ट के इस दृष्टिकोण से सहमति व्यक्त की कि कपड़ों पर हाथ पोंछना पर्याप्त हो सकता था।

    कहा गया,

    "परीक्षा में आंसर ओएमआर शीट पर खाली गोले काले करके दिए जाने थे। ऐसे मामले में उत्तर लिखने की तुलना में पेन या पेंसिल का उपयोग बहुत कम होता है। इसलिए हाईकोर्ट द्वारा लिया गया दृष्टिकोण कि परीक्षा हॉल के अंदर रूमाल ले जाने की अनुमति न देने से याचिकाकर्ता के प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वह अपने कपड़ों पर अपनी हथेलियां रगड़ सकता था, प्रशंसनीय दृष्टिकोण है।"

    (3) न्यायालय ने सार्वजनिक परीक्षाओं के बारे में व्यक्तिगत शिकायतों पर विचार करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि इससे परिणाम में देरी हो सकती है। व्यापक जनहित प्रभावित हो सकता है।

    आगे कहा गया,

    "न्यायालय को सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित व्यक्तिगत शिकायत पर विचार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि इससे परिणाम को अंतिम रूप देने में देरी होती है, जिससे व्यापक जनहित पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।"

    केस टाइटल: तल्लूरी श्रीकर (नाबालिग) अपने पिता तल्लूरी श्रीकृष्ण के माध्यम से बनाम निदेशक, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और अन्य। विशेष अनुमति याचिका (सी) नंबर 20243/2024

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