NDPS Act | अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि अभियुक्त के सचेत कब्जे से प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किया गया: सुप्रीम कोर्ट
Amir Ahmad
23 Jan 2025 7:55 AM

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत अपराध साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि अभियुक्त के सचेत कब्जे से प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किया गया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया,
"सचेत कब्जे से तात्पर्य ऐसे परिदृश्य से है, जहां कोई व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से मादक दवा या मनोरोगी पदार्थ रखता है बल्कि उसकी उपस्थिति और प्रकृति के बारे में भी जानता है। दूसरे शब्दों में इसके लिए शारीरिक नियंत्रण और मानसिक जागरूकता दोनों की आवश्यकता होती है।”
कोर्ट ने कहा,
"सचेत कब्जे का अर्थ है कि व्यक्ति जानता था कि उसके नियंत्रण में अवैध दवा या मनोरोगी पदार्थ है। उसे इसकी अवैध प्रकृति का इरादा या ज्ञान था।”
कोर्ट ने आगे कहा कि NDPS Act की धारा 54 के अनुसार सबूत का भार अभियुक्त पर तभी ट्रांसफर होगा, जब सचेत कब्जे को साबित कर दिया जाएगा।
"अभियोजन पक्ष का यह दायित्व है कि वह यह सिद्ध करे कि प्रतिबंधित पदार्थ को अभियुक्त के सचेत कब्जे से जब्त किया गया। जब अभियोजन पक्ष द्वारा यह पहलू सफलतापूर्वक सिद्ध कर दिया जाता है, तभी अभियुक्त पर कानूनी और संतोषजनक तरीके से कब्जे का हिसाब देने का दायित्व आ जाता है।"
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने एक दोषी द्वारा दायर अपील पर विचार करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसे ट्रेन में पोस्त की भूसी ले जाने के लिए दस साल की सजा सुनाई गई थी। दोषी ने तर्क दिया कि जब पुलिस ने उसे ट्रेन से उतरने के लिए कहा तो वह उसके पास मिले तीन कार्टन बॉक्स के साथ ट्रेन से उतर गया। उसने दावा किया कि उसका कार्टन बॉक्स से कोई संबंध नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण स्वीकार्य नहीं था।
न्यायालय ने कहा,
"हमें इस बारे में कोई संतोषजनक उत्तर या स्पष्टीकरण नहीं मिला कि वह एक कार्टन पर कैसे बैठा था और अन्य दो कार्टन उसके बगल में कैसे रखे गए।"
चूंकि कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं है, इसलिए न्यायालय ने कहा कि धारा 54 लागू होती है। ट्रायल कोर्ट का यह अनुमान लगाना उचित था कि अभियुक्त सचेत अवस्था में था। अपील खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: राकेश कुमार रघुवंशी बनाम मध्य प्रदेश राज्य