NFIW ने महिला आरक्षण के तत्काल कार्यान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
Shahadat
25 Jan 2024 12:21 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (25 जनवरी) को संविधान (एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, 2023 के 'परिसीमन खंड' को चुनौती देने वाली नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (NFIW) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के ऊपरी सदन और दिल्ली विधानसभा में महिला आरक्षण पेश करने का प्रस्ताव है।
हालांकि सितंबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संवैधानिक संशोधन पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन यह अधिनियम तब तक लागू नहीं किया जाएगा, जब तक कि अगली जनगणना के बाद परिसीमन अभ्यास आयोजित नहीं किया जाता।
जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। इसी तरह की रिट याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा भी दायर की गई, जिसमें दावा किया गया कि एक बार इस उद्देश्य के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में भारी समर्थन के साथ पारित संवैधानिक संशोधन को रोका नहीं जा सकता।
पिछले साल नवंबर में कोर्ट ने ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को 2024 के आम चुनाव से पहले इस संवैधानिक संशोधन को तुरंत लागू करने का निर्देश देने पर आपत्ति जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन द्वारा दायर 2021 की एक और जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में संगठन ने महिला आरक्षण विधेयक को फिर से पेश करने की मांग की, जो 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित होने के बावजूद, 15 वीं लोकसभा के विघटन के बाद समाप्त हो गया, क्योंकि इसे निचले सदन में पेश नहीं किया गया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 को पेश करने की मंजूरी देने से एक महीने पहले जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की खिंचाई की थी। उन्होंने यह पूछा था कि उसने NFIW की जनहित याचिका पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं दाखिल की।
महिलाओं के लिए कोटा तत्काल शुरू करने की मांग वाली ठाकुर की याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने NFIW की 2021 की याचिका के साथ इस पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की। इसने मुकदमेबाजी की बहुलता से बचने के लिए महिला सांसदों के लिए 33 प्रतिशत कोटा लागू करने की मांग करने वाली अन्य रिट याचिका को भी इनके साथ सुनने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने संक्षेप में NFIW की नवीनतम याचिका को भी याचिकाओं के इस बैच के साथ टैग करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल- राष्ट्रीय महिला महासंघ बनाम भारत संघ | रिट याचिका (सिविल) नंबर 24/2024