Motor Accident Claims | दावेदार आय प्रमाण प्रस्तुत नहीं करता तो बीमाकर्ता को लागू न्यूनतम वेतन अधिसूचना प्रस्तुत करनी होगी: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
4 Sept 2025 12:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सड़क दुर्घटना में स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए एक नाबालिग को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि ₹8.65 लाख से बढ़ाकर ₹35.90 लाख कर दी। न्यायालय ने कहा कि आय निर्धारण के लिए नाबालिग को गैर-कमाऊ व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, न्यायालय ने फैसला सुनाया कि नाबालिग की आय को उस राज्य में अधिसूचित कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के बराबर माना जाना चाहिए, जहां वाद का कारण उत्पन्न हुआ था।
अदालत ने कहा,
"यह अब कानून का एक सुस्थापित और लगातार दोहराया जाने वाला सिद्धांत है कि मोटर वाहन दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता से पीड़ित नाबालिग बच्चे को मुआवज़े की राशि के आकलन के लिए कमाई न करने वाले व्यक्ति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि दुर्घटना के समय बच्चा किसी लाभकारी रोज़गार में नहीं लगा था। ऐसे मामले में आय की हानि के मद में मुआवज़े की गणना कम से कम उस राज्य में, जहां वाद का कारण उत्पन्न हुआ, संबंधित अवधि के लिए अधिसूचित कुशल कामगार को देय न्यूनतम मज़दूरी को अपनाकर की जानी चाहिए।"
इसके अलावा, अदालत ने यह निर्देश भी जारी किया कि जिन मामलों में दावेदार/मृतक की आय ठीक से स्थापित नहीं की गई, वहां बीमा कंपनी का यह दायित्व होगा कि वह उस राज्य में प्रचलित न्यूनतम मज़दूरी की अनुसूची प्रस्तुत करे, जहां वाद का कारण उत्पन्न हुआ। अदालत ने आदेश की कॉपी सभी हाईकोर्ट को भेजने को कहा, जो बदले में अपने-अपने राज्य के संबंधित मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को एक-एक कॉपी भेजेंगे।
अदालत ने कहा,
"ऐसे मामलों में जहां दावेदार आय का उचित विवरण या उसका पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहा है, वहां संबंधित पक्ष, विशेष रूप से बीमा कंपनी, की यह ज़िम्मेदारी और दायित्व होगा कि वह न्यायाधिकरण के समक्ष संबंधित सरकार द्वारा जारी लागू न्यूनतम मज़दूरी प्रस्तुत करे।"
अदालत ने आगे कहा,
"जहां तक उन मामलों में जहां दावेदार/मृतक की आय ठीक से स्थापित नहीं की गई, बीमा कंपनी द्वारा न्यूनतम मज़दूरी की अनुसूची प्रस्तुत करने के संबंध में जारी निर्देश का प्रश्न है, इस न्यायालय के न्यायिक रजिस्ट्रार द्वारा इस आदेश की कॉपी हाईकोर्ट के महापंजीयकों को भेजी जाए, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि इस आदेश की कॉपी सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजी जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्देश का कड़ाई से पालन किया जाए।"
Cause Title: HITESH NAGJIBHAI PATEL VERSUS BABABHAI NAGJIBHAI RABARI & ANR.

