Motor Accident Claim | थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी पॉलिसी दस्तावेज में निर्दिष्ट तिथि और समय से प्रभावी होगी: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
13 Jan 2025 10:36 AM IST

एक मोटर दुर्घटना मुआवजा पुरस्कार के खिलाफ एक बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि बीमा पॉलिसी प्राप्त करने के संबंध में केवल धोखाधड़ी का आरोप लगाना पर्याप्त नहीं है। बल्कि, इसे बीमा कंपनी द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करके साबित करना होगा। न्यायालय ने आगे कहा कि पॉलिसी कवरेज पॉलिसी दस्तावेज में निर्दिष्ट समय और तिथि से शुरू होती है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने कहा,
"बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर पाई कि उसे दुर्घटना से पहले पैसा/प्रीमियम नहीं मिला था और केवल यही स्टैंड लिया गया कि बीमा धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया। कानून बहुत स्पष्ट है - धोखाधड़ी हर चीज को खराब करती है, लेकिन केवल धोखाधड़ी का आरोप लगाना इसे साबित करने के बराबर नहीं है। इसे कानून के अनुसार सबूत वगैरह पेश करके साबित करना होगा, जिसका दायित्व धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाले व्यक्ति पर भी होगा।"
मामले के तथ्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए ओम प्रकाश और उनकी पत्नी आशा रानी की वर्ष 2017 में एक दुखद सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। जब प्रतिवादी नंबर 1 (ओम प्रकाश की मां) और 2 (मृतक की बेटी) ने मुआवजे के लिए आवेदन किया तो मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 67,50,000/- रुपये और 8,70,000/- रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता-बीमा कंपनी को दावेदारों को उक्त राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया।
अपील में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने MACT का अवार्ड बरकरार रखा। व्यथित होकर बीमा कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
न्यायालय के समक्ष उठने वाले प्रश्नों में से एक यह है कि क्या विषय वाहन को प्रासंगिक समय पर बीमा पॉलिसी द्वारा कवर किया जा सकता है। घटना 11.04.2017 को दोपहर 02:15 बजे हुई, जबकि बीमा पॉलिसी से पता चला कि बीमा 11.04.2017 को दोपहर 03:54 बजे प्राप्त किया गया।
MACT ने पाया कि प्रीमियम का भुगतान दुर्घटना से पहले किया गया और आंतरिक प्रक्रिया के कारण पॉलिसी अगले दिन जारी की गई। इसलिए इसने माना कि पॉलिसी कवरेज उस दिन से शुरू हुआ, जिस दिन बीमा कंपनी को प्रीमियम प्राप्त हुआ। बीमा कंपनी का बचाव यह है कि पॉलिसी धोखाधड़ी से प्राप्त की गई थी। बीमा सर्टिफिकेट से सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि जोखिम शुरू होने की तारीख 11.04.2017 (यानी, घटना की तारीख) दर्ज की गई।
इस प्रकार, अदालत ने पहले के मामलों में लिए गए दृष्टिकोण को दोहराया,
"बीमा पॉलिसी की प्रभावशीलता पॉलिसी में विशेष रूप से शामिल समय और तारीख से शुरू होगी, न कि पहले के समय से।"
जस्टिस धूलिया और जस्टिस अमानुल्लाह की खंडपीठ को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम धरम चंद के फैसले का हवाला दिया गया, जहां संबंधित बीमा कंपनी ने यह रुख अपनाया कि बीमा को उस समय से शुरू माना जाना चाहिए, जब कंपनी को प्रीमियम प्राप्त हुआ था। इस मामले में जिस दुर्घटना के लिए पॉलिसी कवर मांगा गया, वह बीमा कंपनी को प्रीमियम के भुगतान के 4 घंटे बाद हुई। चूंकि याचिकाकर्ता-बीमा कंपनी इस मामले में यह साबित करने में विफल रही कि उसे दुर्घटना से पहले प्रीमियम नहीं मिला, इसलिए न्यायालय ने दावेदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके अलावा यह माना गया कि धोखाधड़ी (पॉलिसी प्राप्त करने में) साबित करने का दायित्व बीमा कंपनी पर था, लेकिन वह इसे समाप्त करने में विफल रही।
तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम माया देवी और अन्य, सिविल अपील नंबर 15016-15017 वर्ष 2024