FIR दर्ज करने में देरी मोटर दुर्घटना दावे को खारिज करने का आधार नहीं; लेकिन साक्ष्य के आधार पर देरी प्रासंगिक हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
17 Dec 2024 9:15 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि FIR दर्ज करने में देरी मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा खारिज करने का आधार नहीं होगी, लेकिन यह उन मामलों में प्रासंगिक हो जाती है, जहां अन्य साक्ष्य दावेदार के आरोपों का समर्थन नहीं करते हैं।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) का फैसला खारिज कर दिया गया, जिसमें प्रतिवादी दावेदार को स्कूटर से फिसलने और गिरने के कारण लगी चोटों के खिलाफ उसका दावा खारिज कर दिया गया।
प्रतिवादी दावेदार की 27 दिसंबर, 2011 को दुर्घटना हुई थी। उसने 34 दिनों की देरी के बाद यानी 30 जनवरी, 2012 को FIR दर्ज कराई। उसने MACT के समक्ष 25 लाख रुपये के हर्जाने का दावा करते हुए एक दावा मामला भी दायर किया। अपीलकर्ता/बीमाकर्ता से 20 लाख रुपए का मुआवजा। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जिसमें कहा गया कि दावेदार को लगी चोटें टक्कर से नहीं बल्कि स्कूटर के फिसलने और गिरने के कारण थीं और FIR दर्ज करने में देरी हुई थी, MACT ने प्रतिवादी दावेदार का दावा खारिज कर दिया।
यह मामला अपील में लिया गया, जहां ट्रिब्यूनल के आदेश/निर्णय को हाईकोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि FIR में देरी मात्र प्रतिवादी नंबर 1 का दावा खारिज करने का आधार नहीं हो सकती और छह सप्ताह की अवधि के साथ 7.5% ब्याज के साथ ग्यारह लाख पचास हजार रुपए का दावा करने का आदेश दिया।
इससे व्यथित होकर अपीलकर्ता/बीमाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि FIR दर्ज करने में देरी दावेदार का दावा खारिज करने को उचित ठहराती है, क्योंकि सभी साक्ष्य दावेदार के खिलाफ हैं कि दुर्घटना स्कूटर के फिसलने और गिरने के कारण हुई थी न कि टक्कर से।
इसके विपरीत, प्रतिवादी दावेदार ने तर्क दिया कि FIR रजिस्ट्रेशन में केवल देरी से मोटर दुर्घटना दावे के लिए उसका दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट के निर्णय को अलग रखते हुए न्यायालय ने कहा कि जबकि विलंबित FIR केवल दावे को अयोग्य नहीं ठहरा सकती, लेकिन जब अन्य साक्ष्य दावे का खंडन करते हैं तो यह महत्वपूर्ण हो जाती है।
न्यायालय ने कहा कि चूंकि दावेदार के दावे की पुष्टि चिकित्सा साक्ष्य से नहीं हुई, इसलिए FIR में देरी प्रासंगिक होगी। FIR रजिस्ट्रेशन में देरी के आधार पर दावा खारिज करने को उचित ठहराकर MACT के निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा,
"किसी दिए गए मामले में विलंबित FIR मायने नहीं रखती। केवल इसलिए कि FIR में देरी हुई है, दावा खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन वर्तमान मामले में यह देखते हुए कि सभी उपलब्ध साक्ष्य स्किड और गिरने की ओर इशारा करते हैं, न कि मोटर दुर्घटना की ओर, विलंबित FIR को भी प्रासंगिकता की आवश्यकता है, खासकर अब जब हमें बताया गया कि FIR पर ही कार्यवाही नहीं की गई। यहां तक कि FIR में पुलिस भी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कोई मोटर दुर्घटना नहीं हुई और उसने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।"
तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई।
केस टाइटल: न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम वेलु एवं अन्य।