MBBS: सुप्रीम कोर्ट ने स्टाइपेंड भुगतान की मांग वाली विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

23 Jan 2024 9:11 AM GMT

  • MBBS: सुप्रीम कोर्ट ने स्टाइपेंड भुगतान की मांग वाली विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट की याचिका पर नोटिस जारी किया

    विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट (FMG) द्वारा उन्हें स्टाइपेंड (Stipend) का भुगतान न करने को चुनौती देने वाली रिट याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।

    जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी सरकारी मेडिकल कॉलेज, विदिशा में इंटर्नशिप कर रहे स्टूडेंट द्वारा दायर याचिका को रखा गया।

    याचिका अभिषेक यादव और अन्य बनाम आर्मी मेडिकल कॉलेज और अन्य (डब्ल्यू.पी. (सी) नंबर 730/2022) के साथ टैग की गई। यह मामला उस याचिका से संबंधित है, जिसमें 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टरों को कोई स्टाइपेंड नहीं देते, या न्यूनतम निर्धारित स्टाइपेंड नहीं दे रहे हैं। वहीं, कोर्ट ने आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज को एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप करने वाले इंटर्न को स्टाइपेंड (25000 रुपये) देने का निर्देश दिया।

    वर्तमान याचिका की सामग्री

    याचिका में एनएमसी द्वारा जारी 4 मार्च, 2022 और 19 मई, 2022 के सर्कुलर्स पर भरोसा जताया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस सर्कुलर के अनुसार, FMG को स्टाइपेंड भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट के बराबर बढ़ाया जाना चाहिए।

    याचिका में कहा गया कि मध्य प्रदेश सरकार के मेडिकल शिक्षा विभाग द्वारा मेडिकल शिक्षा आयुक्त, भोपाल को नोटिस जारी किया गया, जिसमें अन्य बातों के अलावा इंटर्न को 01.04.2022 से 12760/- रुपये का स्टाइपेंड देने का प्रावधान किया गया।

    याचिकाकर्ताओं की इंटर्नशिप 01.04.2023 को शुरू हुई। 69 स्टूडेंट वाले बैच को दो महीने के लिए केवल 12760/- रुपये का स्टाइपेंड दिया गया। हालांकि, दो महीने बाद स्टूडेंट को जून, 2023 से स्टाइपेंड का भुगतान नहीं किया गया।

    याचिकाकर्ताओं ने कहा,

    "स्टूडेंट ने विभिन्न अधिकारियों के समक्ष कई शिकायतें उठाईं। हालांकि, आज तक इसका समाधान नहीं किया गया।"

    यह भी तर्क दिया गया कि स्टाइपेंड का भुगतान न करने का उपरोक्त कार्य अन्यायपूर्ण, मनमाना और गैर-न्यायसंगत है, क्योंकि अन्य बातों के अलावा, यह स्टाइपेंड पाने वाले अन्य कॉलेजों के स्टूडेंट के बीच कृत्रिम विभाजन पैदा करता है।

    याचिका में कहा गया,

    “असम सहित अन्य राज्यों में विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स (FMG) को स्टाइपेंड मिल रहा है। यदि FMG को उनके द्वारा किए गए कर्तव्य के लिए वजीफा का भुगतान नहीं किया जाता तो यह गंभीर उत्पीड़न का मामला है। यह गंभीर रूप से प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। FMG के बुनियादी अधिकारों का बलिदान देता है।”

    अभिषेक यादव और अन्य बनाम आर्मी मेडिकल कॉलेज और अन्य की दलील भी मजबूत होती है, जिस पर हर कोई ध्यान दे सकता है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस इंटर्नों को स्टाइपेंड का भुगतान न करने के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए स्थिति की तुलना "बंधुआ मजदूरी" से की।

    याचिका में आगे कहा गया,

    “चूंकि इस माननीय न्यायालय ने अभिषेक यादव (सुप्रा) के मामले में दायर समान रिट याचिका में स्थिति का संज्ञान लिया और 15.09.2023 के आदेश में यह दर्ज किया गया कि 70% अन्य मेडिकल कॉलेज भी स्टाइपेंड का भुगतान नहीं कर रहे हैं, याचिकाकर्ता ऐसे समान उदाहरणों को माननीय न्यायालय के ध्यान में लाने के लिए वर्तमान रिट याचिका दायर कर रहे हैं। याचिकाकर्ता अन्य बातों के अलावा, परमादेश की रिट, या प्रतिवादियों के लिए कोई उचित रिट, आदेश या निर्देश जारी करने की मांग कर रहे हैं...''

    इसे देखते हुए अन्य बातों के साथ-साथ प्रतिवादी के खिलाफ याचिकाकर्ताओं और कुछ अन्य स्टूडेंट को उनकी इंटर्नशिप की पूरी अवधि (जो 01.04.2023 को शुरू हुई) के लिए नियमित मासिक स्टाइपेंड प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई।

    एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड चारू माथुर और वकील तन्वी दुबे याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया।

    केस टाइटल: साजिथ एस एल बनाम अटल बिहारी बाजपेयी शासकीय मेडिकल कॉलेज, विदिशा, डायरी नंबर- 53064 - 2023

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