सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की नकद के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े CBI मामले की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
21 Feb 2025 8:14 AM

सुप्रीम कोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और अब विधायक पार्थ चटर्जी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य के नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े CBI मामले में जमानत मांगी गई।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।
संक्षेप में कहें तो पश्चिम बंगाल में नकदी के बदले नौकरी घोटाले में पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तहत सहायक शिक्षकों की अवैध भर्ती के आरोप शामिल थे। 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया, जिसके कारण डॉ. सुबीर भट्टाचार्य (पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष), अशोक कुमार साहा (WBCSSC के सचिव), डॉ. कल्याणमय गांगुली (पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष), डॉ. शांति प्रसाद सिन्हा (WBBSE के सचिव) और पार्थ चटर्जी (पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा विभाग के प्रभारी मंत्री) की गिरफ़्तारी हुई।
अभियुक्तों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और PMLA की विभिन्न धाराओं के तहत विभाग में नौकरी के बदले रिश्वत मांगकर अपने सार्वजनिक कार्यालयों का निजी लाभ के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया गया।
ज़मानत की मांग करते हुए पार्थ चटर्जी (और अन्य) ने शुरू में कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया। नवंबर 2024 में एक खंडपीठ ने ज़मानत आवेदनों पर विभाजित फ़ैसला सुनाया।
जज ने सभी आरोपियों को जमानत दी, जबकि दूसरे ने पार्थ चटर्जी और शिक्षा विभाग के 4 अन्य अधिकारियों (सुबीर भट्टाचार्य, कल्याणमय गंगोपाध्याय, अशोक कुमार साहा और शांति प्रसाद सिन्हा) को जमानत देने से इनकार किया।
इसके बाद मामला एकल पीठ के समक्ष आया, जिसने पार्थ चटर्जी और 4 अन्य अधिकारियों को जमानत देने से इनकार किया।
उपर्युक्त दो आदेशों (विभाजित फैसले का आदेश और जमानत देने से इनकार करने वाला एकल पीठ का आदेश) को चुनौती देते हुए चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
दिसंबर, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 फरवरी, 2025 से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने की अनुमति दी थी।
केस टाइटल: पार्थ चटर्जी बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 2471-2472/2025