जूनियर डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा विश्वास बहाली के उपायों को लागू करने पर काम पर लौटने पर सहमति जताई
Shahadat
17 Sept 2024 2:31 PM IST
आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन के तहत काम से दूर रहने वाले पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे ड्यूटी पर लौटने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि 16 सितंबर को उनके और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के बीच बैठक के दौरान जिन विश्वास बहाली के उपायों पर सहमति बनी थी, उन्हें लागू किया जाए।
जूनियर डॉक्टरों के संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाली सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने आरजी कर अस्पताल मामले पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष यह दलील दी।
डॉक्टरों ने अपने आवेदन में निम्नलिखित प्रार्थनाएं उठाईं -
(1) प्रत्येक अस्पताल में व्यापक निगरानी समिति का गठन जिसमें प्रशासन, शिक्षाविद, नर्स, डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी आदि शामिल हों।
(2) स्टूडेंट, डॉक्टरों की शिकायतों के निवारण के लिए अस्पताल में गोपनीय शिकायत निवारण प्रणाली तैयार करना।
(3) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम 2013) के अनुसार आंतरिक शिकायत समितियों का गठन करना।
(4) प्रत्येक अस्पताल में योग्य पेशेवरों, विशेष रूप से मनोरोग और मनोविज्ञान विभाग के साथ परामर्श केंद्र स्थापित करना, जिससे डॉक्टरों द्वारा अपने कर्तव्यों के दौरान सामना किए जाने वाले तनाव से निपटा जा सके।
न्यायालय ने इन प्रार्थनाओं में योग्यता पाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि यदि पहले से ही इन्हें लागू नहीं किया गया तो उन्हें लागू करने के लिए कदम उठाए।
न्यायालय ने आदेश में कहा,
"इनमें से प्रत्येक पहलू पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। हम पश्चिम बंगाल राज्य से आग्रह करते हैं कि यदि पहले से ही ऐसा नहीं किया गया तो इस आदेश से 3 दिनों की अवधि के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई की जाए।"
जयसिंह ने कहा कि इस विश्वास निर्माण कार्य से जूनियर डॉक्टरों को काम पर वापस आने में कोई समस्या नहीं होगी। पश्चिम बंगाल सरकार के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि जिन डॉक्टरों ने आंदोलन की अवधि के दौरान काम पर वापस आना शुरू किया, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक या प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
सिब्बल ने जब डॉक्टरों के काम पर लौटने के लिए निश्चित समयसीमा मांगी तो जयसिंह ने कहा कि जब तक डॉक्टर अपने संघ की आम सभा के साथ बैठक नहीं करते, तब तक कोई स्पष्ट तिथि नहीं दी जा सकती। जयसिंह ने यह भी कहा कि डॉक्टरों के विरोध का कारण आरजी कर अस्पताल में उन लोगों की मौजूदगी है, जो इस मामले को दबाने के लिए जिम्मेदार हैं।
हालांकि, सीजेआई ने कहा कि कोर्ट उन्हें हटाने के लिए कोई निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी संलिप्तता अभी भी CBI जांच का विषय है। सीजेआई ने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट अपने पहले के निर्देश (जिसके अनुसार डॉक्टरों को 10 सितंबर, शाम 5 बजे तक काम पर वापस आना था) में कोई संशोधन नहीं कर रहा है।
सीजेआई ने कहा,
"हम अपने पिछले आदेश में कोई संशोधन नहीं कर रहे हैं, हमने काम पर वापस लौटने के लिए स्थितियां बनाई हैं, उन्हें (सरकार को) आदेश लागू करने के लिए जो करना है, करने दें।"
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों के बारे में दायर हलफनामे पर भी गौर किया। न्यायालय ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में केवल 37 सीसीटीवी लगाए गए हैं, जबकि राज्य ने कहा है कि 415 लगाए जाएंगे।
सिब्बल ने कहा कि प्रक्रिया चल रही है तो सीजेआई ने टिप्पणी की कि प्रगति धीमी है। न्यायालय ने जिला कलेक्टरों से अस्पतालों के लिए सुरक्षा उपायों के लिए बजटीय आवंटन के व्यय की निगरानी करने को कहा। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि "सहभागी प्रक्रिया" का पालन किया जाना चाहिए, जिससे जूनियर और सीनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को अपने विचार व्यक्त करने का मौका मिले।