JAG की नियुक्तियों में जेंडर-न्यूट्रल का निर्देश देने वाला निर्णय पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
15 Oct 2025 10:46 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि भारतीय सेना के जज एडवोकेट जनरल (JAG) पद पर पुरुषों के लिए आरक्षण को रद्द करने वाला उसका निर्णय वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं होना चाहिए।
अर्शनूर कौर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के निर्णय के अनुसरण में, जिसमें न्यायालय ने कहा कि JAG में भर्ती जेंडर-न्यूट्रल होनी चाहिए, याचिकाकर्ता सीरत कौर ने 35वें भर्ती चक्र (अक्टूबर 2025) में नियुक्ति के माध्यम से राहत की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उसकी दलील के अनुसार, 10 जुलाई को प्रकाशित मेरिट सूची में उसने कुल 8 अनुशंसित उम्मीदवारों (महिला और पुरुष मिलाकर) में से कुल मिलाकर छठा स्थान प्राप्त किया। हालांकि, मेरिट के बावजूद, याचिकाकर्ता का चयन नहीं किया गया। उन्होंने प्रार्थना की कि 35वीं भर्ती की अधिसूचना इस प्रकार लागू की जाए कि यदि 100% महिला उम्मीदवार योग्यता के आधार पर पात्र हों तो सभी सीटें उन्हें मिलें, जैसा कि अर्शनूर कौर मामले में दिए गए फैसले में कहा गया।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि चूँकि 35वीं भर्ती की अधिसूचना कोर्ट के फैसले से पहले जारी की गई, इसलिए यह लागू नहीं होती, क्योंकि इसमें कहा गया था कि भर्ती "अब से" अर्शनूर कौर मामले में दिए गए फैसले में विशेष रूप से अनुच्छेद 117 में, निर्धारित तरीके से की जानी चाहिए।
“अर्शनूर कौर एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य” में इस न्यायालय के फैसले के अनुच्छेद 117 में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, इस आशय से कि भारत संघ "अब से" निर्णय में निर्दिष्ट तरीके से भर्ती करेगा और साथ ही सभी जज एडवोकेट जनरल (JAG) उम्मीदवारों, अर्थात् सभी पुरुष और महिला उम्मीदवारों के लिए एक समान योग्यता सूची प्रकाशित करेगा और चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों के साथ योग्यता सूची को सार्वजनिक करेगा, हमें यह मानने का कोई कारण नहीं दिखता कि इस निर्णय में निहित निर्देश पूर्वव्यापी रूप से लागू होंगे ताकि JAG के पद पर नियुक्ति के लिए भर्ती की किसी भी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके, जो इससे पहले शुरू की गई, जिसमें 35वां भर्ती चक्र भी शामिल है, जो विचाराधीन है।
हालांकि, चूंकि एक अंतरिम उपाय के रूप में याचिकाकर्ता को ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने की अनुमति दी गई, इसलिए कोर्ट ने उसे यदि वह चाहे तो जारी रखने की अनुमति दी। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने कहा कि यदि किसी भी स्थिति में आठ उम्मीदवारों में से एक अपनी ट्रेनिंग पूरा करने में असमर्थ है तो केवल याचिकाकर्ता को ही समायोजित किया जा सकता है। लेकिन इसे एक मिसाल नहीं माना जाएगा।
आगे कहा गया,
"हम यह टिप्पणी करते हैं कि यदि सभी आठ चयनित अभ्यर्थी सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं और नियुक्त हो जाते हैं तो याचिकाकर्ता को 35वें भर्ती चक्र के परिणाम के आधार पर नियुक्ति पाने का कोई अधिकार नहीं होगा। हालांकि, यदि याचिकाकर्ता पर भाग्य मेहरबान होता है और ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे आठ अभ्यर्थियों में से कोई भी अभ्यर्थी ट्रेनिंग से हट जाता है या किसी अन्य कारण से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, या यदि कोई अन्य रिक्ति उत्पन्न होती है, जहां उसे समायोजित किया जा सकता है तो ट्रेनिंग के सफल समापन पर उसकी नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है। उपरोक्त निर्देश एक अति विशेष मामले के रूप में दिया गया और इसे भविष्य के किसी मामले के लिए मिसाल नहीं माना जाएगा।"
उक्त निर्देशों के साथ मामले का निपटारा कर दिया गया।
Case Details: SEERAT KAUR v. UNION OF INDIA & ANR.|Writ Petition(s)(Civil) No(s).928/2025

