जिला जजों की सीधी भर्ती में केवल वकीलों का विशेष कोटा नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

Praveen Mishra

9 Oct 2025 4:33 PM IST

  • जिला जजों की सीधी भर्ती में केवल वकीलों का विशेष कोटा नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज यह फैसला दिया कि जिला न्यायाधीशों के पदों पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित 25% कोटा केवल वकीलों (बार के उम्मीदवारों) के लिए आरक्षित नहीं है।

    चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एस.सी. शर्मा और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा —

    “हम प्रतिवादियों की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि 25% सीधी भर्ती का कोटा केवल प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित है। यदि इस तर्क को स्वीकार किया जाए तो यह सात वर्ष की प्रैक्टिस वाले अधिवक्ताओं के लिए एक अलग 'कोटा' बना देगा। अनुच्छेद 233(2) का स्पष्ट और शाब्दिक अर्थ ऐसी व्यवस्था का समर्थन नहीं करता। इसलिए यह तर्क स्वीकार्य नहीं है।”

    खंडपीठ ने कहा कि कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने बार में सात वर्ष की प्रैक्टिस पूरी कर ली हो या वकील और न्यायिक अधिकारी के रूप में कुल सात वर्ष का संयुक्त अनुभव रखता हो, उसे बार कोटे के अंतर्गत जिला न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए पात्र माना जाएगा।

    सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों ने तर्क दिया था कि ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2002) मामले में दिए गए निर्देशों के अनुसार 75:25 का अनुपात तय किया गया था — जिसमें 75% पद प्रोन्नति से और 25% पद सीधी भर्ती से भरे जाने थे, और यह 25% केवल योग्य वकीलों के लिए था।

    हालांकि, संविधान पीठ ने आज स्पष्ट किया कि सात वर्ष या उससे अधिक का संयुक्त अनुभव रखने वाले वर्तमान न्यायिक अधिकारी भी जिला जजों की सीधी भर्ती की परीक्षा में भाग लेने के पात्र हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सात वर्ष की प्रैक्टिस वाले वकीलों के लिए जिला न्यायाधीशों की सीधी भर्ती में अलग “कोटा” बनाना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने सत्य नारायण सिंह बनाम इलाहाबाद हाईकोर्ट (1985) के फैसले को इस हद तक अस्वीकार कर दिया।

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