अवैध इमारतों के लिए कोई ट्रेड लाइसेंस या ऋण नहीं, गलत पूर्णता प्रमाण पत्र के लिए अधिकारी उत्तरदायी: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश
Praveen Mishra
18 Dec 2024 5:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि ये निर्देश संरचनाओं के विध्वंस के संबंध में पहले के एक मामले में जारी निर्देशों के अतिरिक्त हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि निर्माण की अवधि के दौरान बिल्डर के लिए स्वीकृत योजना को प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा और कोई भी भवन पूर्णता प्रमाण पत्र तब तक जारी नहीं किया जाएगा जब तक कि भवन का निरीक्षण करने वाला अधिकारी संतुष्ट न हो जाए कि भवन का निर्माण भवन नियोजन अनुमति के अनुसार किया गया है। इसके अलावा, न्यायालय उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश देता है जो कानून के उल्लंघन में गलत तरीके से निर्माण अनुमति देते हैं।
जारी किए गए निर्देशों में इस सिद्धांत की पुष्टि की गई है कि अनधिकृत निर्माण को फलने-फूलने नहीं दिया जा सकता और कानून का उल्लंघन करते हुए अनधिकृत निर्माण की अनुमति देने वाले अधिकारियों को चेतावनी भेजी जा सकती है।
जनहित में, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए: -
(i) भवन नियोजन अनुमति जारी करते समय, बिल्डर/आवेदक से, जैसा भी मामला हो, इस आशय का एक वचन प्राप्त किया जाए कि भवन का कब्जा संबंधित अधिकारियों से पूर्णता/कब्जा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही मालिकों / या लाभार्थियों को सौंपा जाएगा।
(ii) बिल्डर/डेवलपर/मालिक निर्माण स्थल पर निर्माण की पूरी अवधि के दौरान अनुमोदित योजना की एक प्रति प्रदशत करवाएगा और संबंधित प्राधिकारी समय-समय पर परिसर का निरीक्षण करेंगे और अपने सरकारी अभिलेखों में ऐसे निरीक्षण का रिकार्ड रखेंगे।
(iii) व्यक्तिगत निरीक्षण करने और इस बात से संतुष्ट होने पर कि भवन का निर्माण भवन नियोजन की दी गई अनुमति के अनुसार किया गया है और किसी भी तरह से ऐसे निर्माण में कोई विचलन नहीं है, रिहायशी/वाणिज्यिक भवन के संबंध में पूर्णता/कब्जा प्रमाण पत्र संबंधित प्राधिकरण द्वारा संबंधित पक्षकारों को बिना अनुचित विलंब किए जारी किया जाएगा। यदि कोई विचलन ध्यान में आता है तो अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए और पूर्णता/कब्जा प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को तब तक आस्थगित रखा जाना चाहिए जब तक कि उल्लिखित विचलनों को पूरी तरह से ठीक नहीं कर लिया जाता।
(iv) सभी आवश्यक सवस कनेक्शन जैसे बिजली, पानी की आपूत, सीवरेज कनेक्शन आदि भवनों को पूर्णता/कब्जा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद ही सेवा प्रदाता/बोर्ड द्वारा दिए जाएंगे।
(v) पूर्णता प्रमाणपत्र जारी किए जाने के बाद भी, यदि कोई विचलन/उल्लंघन योजना अनुमति के विपरीत हो, तो प्राधिकरण के ध्यान में लाया जाता है, बिल्डर/मालिक/दखलदार के विरुद्ध संबंधित प्राधिकारी द्वारा कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई की जाएगी; और गलत तरीके से पूरा करने/कब्जा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई तत्काल की जाएगी।
(vi) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के स्थानीय निकायों सहित किसी भी प्राधिकरण द्वारा किसी अनधिकृत भवन में कोई भी कारबार/व्यापार करने की अनुमति/लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए, चाहे वह आवासीय भवन हो या वाणिज्यिक।
(vii) विकास जोनल योजना और उपयोग के अनुरूप होना चाहिए। ऐसी जोनल योजना और उपयोग में कोई भी संशोधन नियमों का सख्ती से पालन करते हुए और व्यापक जनहित और पर्यावरण पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
(viii) जब कभी योजना विभाग/स्थानीय निकाय के अंतर्गत संबंधित प्राधिकरण द्वारा किसी अनधिकृत निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए किसी अन्य विभाग से सहयोग के लिए कोई अनुरोध किया जाता है तो दूसरा विभाग तत्काल सहायता और सहयोग देगा तथा किसी प्रकार के विलंब या लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को दोषी अधिकारियों की जानकारी में लाए जाने पर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई भी करनी चाहिए।
(ix) पूर्णता प्रमाण पत्र जारी न किए जाने अथवा अनधिकृत निर्माण को नियमित करने अथवा विचलन में सुधार आदि के विरुद्ध स्वामी अथवा बिल्डर द्वारा कोई आवेदन/अपील/पुनरीक्षण दायर किए जाने की स्थिति में लंबित अपीलों/पुनरीक्षणों सहित संबंधित प्राधिकारी द्वारा उसका निपटान यथाशीघ्र किया जाएगा।
(x) यदि अधिकारी इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए पहले के निर्देशों और आज पारित किए जा रहे निर्देशों का सख्ती से पालन करते हैं, तो उनका निवारक प्रभाव पड़ेगा और घर/भवन निर्माण से संबंधित ट्रिब्यूनल/न्यायालयों के समक्ष मुकदमेबाजी की मात्रा में भारी कमी आएगी। अत सभी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा परिपत्र के रूप में सभी संबंधितों को इस चेतावनी के साथ आवश्यक अनुदेश जारी किए जाने चाहिए कि सभी निर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन किया जाना चाहिए और ऐसा न करने पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कानून के अनुसार विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।
(xi) बैंक/वित्तीय संस्थाएं प्रतिभूति के रूप में किसी भवन के एवज में ऋण तभी मंजूर करेंगी जब संबंधित पक्षकारों द्वारा भवन के उत्पादन पर उसे जारी किए गए पूर्णता/कब्जा प्रमाण-पत्र का सत्यापन कर लिया गया हो।
(xii) किसी भी निदेश के उल्लंघन से संबंधित कानूनों के अंतर्गत अभियोजन के अलावा अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
मामले की पृष्ठभूमि:
अदालत अपीलकर्ताओं द्वारा खरीदी गई एक इमारत को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी। प्रतिवादी नंबर 5 और 6 द्वारा प्रतिवादी नंबर 1, यूपी हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा आवंटित भूमि पर दुकानों और वाणिज्यिक स्थानों का अवैध रूप से निर्माण किया गया था, बिना आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किए।
अपीलकर्ता ने लंबे समय से कब्जा करने और अपीलकर्ता को पूर्व नोटिस नहीं भेजने में अधिकारियों द्वारा कथित चूक के आधार पर विध्वंस आदेश को चुनौती दी।
प्रतिवादी नंबर 1 ने तर्क दिया कि निर्माण आवासीय ज़ोनिंग के ज़बरदस्त उल्लंघन में था और वैधानिक अनुमोदन का अभाव था। इसने बताया कि मूल आवंटी (प्रतिवादी संख्या 5 और 6) और अपीलकर्ता को कई नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई। उनके अनुसार, देरी और निष्क्रियता अवैध निर्माणों को मान्य नहीं करती है।
हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए, जस्टिस महादेवन द्वारा लिखे गए फैसले में जोर दिया गया कि अनिवार्य कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माणों को पनपने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायालय ने आगे कहा कि लंबे समय तक अधिभोग, वित्तीय निवेश और प्राधिकरण की निष्क्रियता अनधिकृत संरचनाओं को वैध नहीं बनाती है।
न्यायालय ने निदेश दिया कि निर्णय को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परिचालित किया जाए।