'अगर YouTube पर आरोप लगाने वाले सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाए तो चुनाव से पहले कितने लोगों को जेल होगी?' : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

Shahadat

8 April 2024 6:52 AM GMT

  • अगर YouTube पर आरोप लगाने वाले सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाए तो चुनाव से पहले कितने लोगों को जेल होगी? : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप से जुड़े मामले में यूट्यूबर ए. दुरईमुरुगन सत्ताई को दी गई जमानत बहाल की।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने सत्ताई की जमानत रद्द करने का आदेश रद्द किया और कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने उन्हें दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया।

    जस्टिस ओक ने सुनवाई के दौरान सीनियर वकील मुकुल रोहतगी (राज्य की ओर से पेश) से कहा,

    "अगर चुनाव से पहले हम यूट्यूब पर आरोप लगाने वाले सभी लोगों को सलाखों के पीछे डालना शुरू कर देंगे तो कल्पना करें कि कितने लोगों को जेल होगी?"

    जब यह अनुरोध किया गया कि अदालत यूट्यूबर पर शर्त लगाए, जिससे वह जमानत पर रहते हुए कोई निंदनीय टिप्पणी न करे तो पीठ सहमत नहीं हुई।

    जस्टिस ओक ने रोहतगी से पूछा कि यह कौन तय करेगा कि कोई बयान निंदनीय है या नहीं।

    अदालत मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सत्तई की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसने यह कहते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी कि अदालत के समक्ष हलफनामा देने के कुछ दिनों के भीतर (जिसके आधार पर उन्हें राहत दी गई थी), सत्तई आगे अपराध में शामिल हो गए और तमिलनाडु सीएम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं।

    आदेश से व्यथित होकर सत्ताई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका पर जुलाई, 2022 में नोटिस जारी किया गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2021 में उन्हें दी गई जमानत जारी रखी। इस तरह, सत्तई 2.5 साल से अधिक समय तक जमानत पर रहे।

    राज्य के मामले के समर्थन में रोहतगी ने दिसंबर, 2022 और मार्च, 2023 में उनके खिलाफ दर्ज दो एफआईआर पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया।

    एफआईआर पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि इनमें आरोप (i) बाबरी मस्जिद के विध्वंस की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और (ii) सत्ताई और अन्य लोगों द्वारा उग्र रूप से बोलने और हिरासत में लिए गए कुछ लोगों की रिहाई की मांग से संबंधित हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा और जमानत आदेश बहाल कर दिया,

    "हमें नहीं लगता कि विरोध करने और अपने विचार व्यक्त करने से यह कहा जा सकता है कि अपीलकर्ता ने उसे (इस न्यायालय द्वारा) दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया। अन्यथा भी हमारा विचार है कि विवादित आदेश में उल्लिखित आधार जमानत रद्द करने का आधार नहीं बनाया जा सकता।"

    हालांकि, बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि सत्तई दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग करता है तो राज्य उसकी जमानत रद्द करने के लिए संपर्क कर सकता है।

    केस टाइटल: ए.दुरईमुरुगन पांडियन सत्तई @दुरईमुरुगन बनाम राज्य प्रतिनिधि पुलिस निरीक्षक एवं एएनआर द्वारा, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 6127/2022

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