'सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा सकता है?' सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों से झंडे हटाने का आदेश बरकरार रखा

Shahadat

11 Aug 2025 10:53 AM IST

  • सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों से झंडे हटाने का आदेश बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। उक्त आदेश में सभी राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों को राष्ट्रीय राजमार्गों और सरकारी ज़मीन सहित सार्वजनिक स्थलों पर उनके द्वारा लगाए गए स्थायी झंडों को हटाने का निर्देश दिया गया था।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    याचिकाकर्ता के वकील ने सार्वजनिक स्थलों से झंडों को हटाने के निर्देश की आलोचना की और तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने कई निर्देश दिए, जबकि मूल मामले में मांगी गई राहत सीमित थी।

    जवाब में जस्टिस माहेश्वरी ने पूछा,

    "आप सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल राजनीतिक फ़ायदे के लिए कैसे कर सकते हैं?"

    जज ने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र का दायरा व्यापक है। इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

    विवादित आदेश के तहत मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों, सांप्रदायिक और अन्य संगठनों को राष्ट्रीय राजमार्गों, सरकारी भूमि आदि सहित सार्वजनिक स्थानों पर उनके द्वारा लगाए गए स्थायी ध्वजस्तंभों को हटाने का आदेश दिया।

    मदुरै पीठ के जस्टिस जी.के. इलांथिरायन ने संबंधित पक्षों को 12 सप्ताह के भीतर आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, अन्यथा संबंधित अधिकारियों को पक्षों को नोटिस जारी करने के बाद उचित कार्रवाई करनी होगी। न्यायालय ने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में अधिकारी संबंधित पक्षों से ध्वज हटाने का खर्च वसूल सकते हैं।

    न्यायालय ने यह आदेश कथिरावन नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें सहायक संभागीय अभियंता द्वारा मदुरै शहर के पलंगनाथम में अन्नाद्रमुक पार्टी का ध्वजस्तंभ लगाने के उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

    आवेदन खारिज करते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जो सार्वजनिक स्थानों पर स्थायी ध्वजस्तंभ लगाने के लिए लाइसेंस जारी करने की अनुमति देता हो। न्यायालय ने आगे कहा कि पुलिस और राजस्व अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों पर ध्वजस्तंभ लगाने की अनुमति देने वाला अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि ये ध्वजस्तंभ अक्सर यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनते हैं और कुछ मामलों में यातायात को भी प्रभावित करते हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि राजनीतिक अभियानों, धरनों, जनसभाओं आदि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा निजी पट्टे की भूमि पर ध्वजस्तंभ लगाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, ऐसी स्थापनाएं नियमों के अधीन होनी चाहिए और सभा के बाद उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने आगे कहा कि ध्वजस्तंभों को हटाने के बाद आयोजकों को उस क्षेत्र की सफाई और उसे उसकी मूल स्थिति में वापस लाने का भी ध्यान रखना चाहिए। न्यायालय ने राज्य को निजी भूमि पर ध्वजस्तंभ लगाने के लिए नियम बनाने का भी निर्देश दिया।

    Case Title: AMMAVASITHEVAR Versus K.R. CHITHAN AND ORS., SLP(C) No. 20885/2025

    Next Story