जनहित में समीचीन न होने पर PC&PNDT Act के तहत अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

7 March 2024 3:21 AM GMT

  • जनहित में समीचीन न होने पर PC&PNDT Act के तहत अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (दुरुपयोग का विनियमन और रोकथाम) अधिनियम, 1994 (PC&PNDT Act) की धारा 20(3) के तहत अस्पताल/क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन निलंबित/रद्द किया जाना चाहिए। केवल तभी अनुमति दी जाती है, जब उपयुक्त प्राधिकारी का मानना है कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा,

    "हमारे विचार में PC&PNDT Act की धारा 20 की उपधारा (3) की शक्ति धारा 20 की उपधारा (1) और (2) की शक्ति के बावजूद है। उक्त शक्ति का प्रयोग केवल तभी किया जा सकता है, जब उपयुक्त प्राधिकारी राय बनाता है कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है। दिनांक 29.12.2010 के निलंबन आदेश की सामग्री में ऐसे कारण शामिल नहीं हैं, जो यह राय बनाने के लिए आवश्यक हों कि सार्वजनिक हित में निलंबन शक्ति का प्रयोग करना आवश्यक या समीचीन है। इसलिए हमारे विचार में यह PC&PNDT Act की धारा 20 की उपधारा (3) की आवश्यकता को पूरा नहीं करता है।"

    उपरोक्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नंबर 1 का रजिस्ट्रेशन निलंबित करना PC&PNDT Act की धारा 20 (3) का उल्लंघन है, क्योंकि उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा निलंबन के बाद के आदेश में बताए गए कारण सार्वजनिक हित में ऐसी शक्ति का प्रयोग करने के लिए वैध नहीं हैं।

    सुविधा के लिए PC&PNDT Act की धारा 20(3) नीचे दी गई है:

    "उपधारा (1) और (2) में किसी बात के बावजूद, यदि उपयुक्त प्राधिकारी की राय है कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से उप-धारा (1) में निर्दिष्ट कोई भी नोटिस जारी किए बिना किसी जेनेटिक परामर्श केंद्र, जेनेटिक प्रयोगशाला या जेनेटिक क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन निलंबित कर सकता है।

    मामले की पृष्ठभूमि

    मामले के संक्षिप्त तथ्य यह है कि अपीलकर्ता/उपयुक्त प्राधिकारी ने शिकायत के आधार पर प्रतिवादी नंबर 1/अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान, उपयुक्त प्राधिकारी और उसकी टीम ने PC&PNDT Act के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कुछ खामियां पाईं। फलस्वरूप अस्पताल में संचालित सोनोग्राफी मशीन को जब्त कर लिया गया। 25.10.2010 को उपयुक्त प्राधिकारी ने बिना कोई नोटिस दिए PC&PNDT Act की धारा 20(1) और (2) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए अस्पताल का रजिस्ट्रेशन निलंबित करने का आदेश पारित कर दिया।

    हालांकि, प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा की गई अपील पर अपीलीय प्राधिकारी ने उपयुक्त प्राधिकारी को 15 दिनों के भीतर उपयुक्त आदेश पारित करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि क्या दिनांक 25.10.2020 का आदेश PC&PNDT Act की धारा 20(1) और (2) या धारा 20(3) के तहत के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए पारित किया गया।

    उपयुक्त प्राधिकारी ने अपीलीय प्राधिकारी के आदेश से संकेत लेते हुए 29.12.2010 को नया आदेश पारित किया कि अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन हुआ था। तदनुसार जनहित में PC&PNDT Act की धारा 20 (3) के तहत रजिस्ट्रेशन आपराधिक कार्यवाही को अंतिम रूप देने तक निलंबित कर दिया गया।

    हालांकि, हाईकोर्ट ने प्रतिवादी नंबर 1 का रजिस्ट्रेशन निलंबित करने के फैसले को पलट दिया।

    हाईकोर्ट के निर्णय से व्यथित होकर उपयुक्त प्राधिकारी ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सिविल अपील दायर की।

    केस टाइटल: PC&PNDT Act के तहत जिला उपयुक्त प्राधिकारी और मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी बनाम जशमीना दिलीप देवड़ा, नागरिक अपील संख्या 003831/2024

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