सरकारी विभाग के NGT के आदेश का पालन करने में विफल रहने पर विभागाध्यक्ष दोषी : सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

18 Sep 2024 9:48 AM GMT

  • सरकारी विभाग के NGT के आदेश का पालन करने में विफल रहने पर विभागाध्यक्ष दोषी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई सरकारी विभाग राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो विभागाध्यक्ष को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 28 के अनुसार ऐसी विफलता के लिए उत्तरदायी माना जाएगा।

    जस्टिस अभय ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने NGT का आदेश खारिज किया, जिसमें गुजरात के कच्छ के रण में जंगली गधा अभयारण्य में अनधिकृत गतिविधियों को रोकने के लिए NGT के निर्देश का पालन न करने का आरोप लगाने वाले निष्पादन आवेदन से 15 सरकारी अधिकारियों को हटा दिया गया।

    न्यायालय ने कहा,

    “यदि कोई सरकारी विभाग धारा 28 की उपधारा (1) के तहत कानूनी कल्पना द्वारा NGT के आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो विभागाध्यक्ष को ऐसी विफलता का दोषी माना जाएगा। उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इन प्रावधानों पर भरोसा करते हुए राज्य के अधिकारियों को पार्टी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया था।”

    NGT ने 23 सितंबर, 2020 को भारत संघ के खिलाफ मूल आवेदन में आदेश पारित किया, जिसमें अभयारण्य में अतिक्रमण और नमक की कटाई और मछली पकड़ने जैसी अवैध गतिविधियों का आरोप लगाया गया।

    NGT ने संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वन्यजीव अभयारण्य में कोई अवैध अतिक्रमण न हो और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और वन एवं पर्यावरण विभाग की सहमति के बिना अभयारण्य क्षेत्र में कोई भी पट्टा देने से परहेज करें। न्यायाधिकरण ने यह भी आदेश दिया कि अभयारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में या अनुमत गतिविधियों के लिए कानून द्वारा निर्धारित मापदंडों से परे किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    2023 में अपीलकर्ता ने निष्पादन आवेदन दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि अधिकारी NGT के 2020 के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं। अपीलकर्ता ने दावा किया कि 15 सरकारी अधिकारी NGT के 2020 के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

    NGT Act की धारा 26 में NGT के आदेशों का पालन न करने वाले व्यक्तियों या कंपनियों पर कारावास और/या जुर्माना जैसे दंड का प्रावधान है।

    अधिनियम की धारा 28 विशेष रूप से सरकारी विभागों द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित है, जिसमें कहा गया कि यदि कोई विभाग NGT के आदेशों का पालन करने में विफल रहता है तो विभागाध्यक्ष को दोषी माना जाएगा और अभियोजन के लिए उत्तरदायी माना जाएगा।

    NGT ने अपीलकर्ताओं को अपने आवेदन से 15 सरकारी अधिकारियों के नाम हटाने का निर्देश दिया, क्योंकि मूल आवेदन में उनकी व्यक्तिगत क्षमता में उनका नाम प्रतिवादी के रूप में नहीं था, जिसमें 2020 का आदेश पारित किया गया। NGT ने अपीलकर्ताओं को उस मूल आवेदन में सूचीबद्ध प्रतिवादियों के नाम बताने का निर्देश दिया। इस निर्णय से व्यथित होकर अपीलकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NGT नोटिस जारी करने के चरण में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। न्यायालय ने कहा कि नोटिस प्राप्त करने के बाद अधिकारी सभी अनुमेय बचाव कर सकते थे, जिसमें यह भी शामिल था कि क्या वे NGT के 2020 के आदेश का पालन करने के लिए जिम्मेदार थे।

    कोर्ट ने कहा,

    “नोटिस जारी करने के चरण में NGT हस्तक्षेप नहीं कर सकता था। कारण यह है कि नोटिस की तामील के बाद प्रतिवादी NGT के समक्ष आ सकते थे। सभी अनुमेय बचाव प्रस्तुत कर सकते थे, जिसमें यह बचाव भी शामिल था कि वे उस आदेश का पालन करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे, जिसे लागू करने और निष्पादित करने की मांग की गई।

    इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने NGT को 15 सरकारी अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया और उन्हें अपना बचाव प्रस्तुत करने का अवसर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने इस बात पर निर्णय नहीं लिया कि वे NGT के 2020 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार थे या नहीं और इस प्रश्न को एनजीटी के निर्णय के लिए खुला छोड़ दिया।

    केस टाइटल- कटिया हैदरअली अहमदभाई और अन्य बनाम संजीव कुमार आईएएस और अन्य।

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