क्या आपने प्रतिबंधित की गई दवाइओं के विज्ञापन सोशल मीडिया से हटाएं? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से पूछा

Shahadat

10 July 2024 5:11 AM GMT

  • क्या आपने प्रतिबंधित की गई दवाइओं के विज्ञापन सोशल मीडिया से हटाएं? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से पूछा

    पतंजलि के खिलाफ लंबित भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से पूछा कि क्या उसके नोटिस के अनुसार बिचौलियों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने उन 14 आयुर्वेदिक दवाओं से संबंधित विज्ञापन हटा लिए हैं, जिनके लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा निलंबित कर दिए गए।

    जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ 17 मई को पतंजलि द्वारा दायर हलफनामे पर विचार कर रही थी, जिसमें कहा गया कि उसने उपरोक्त के संबंध में कदम उठाए।

    हलफनामे के अनुसार, 14 आयुर्वेदिक दवाओं (पैरा 3 में उल्लिखित) की बिक्री रोक दी गई और पतंजलि द्वारा अपने 5606 एक्सक्लूसिव/फ्रैंचाइज़ी स्टोर्स को उक्त दवाओं/फॉर्मूलेशन को हटाने/वापस लेने के लिए नोटिस जारी किए गए, जिन्हें राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण, देहरादून, उत्तराखंड द्वारा दिनांक 15.04.2024 के आदेश के तहत निलंबित कर दिया गया।

    इसमें आगे कहा गया कि पतंजलि से जुड़े मीडिया प्लेटफॉर्म और विशेष रूप से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसके द्वारा लगे लोगों को उक्त दवाओं के संबंध में किसी भी रूप में कोई भी विज्ञापन प्रसारित करने से रोकने का निर्देश दिया गया। साथ ही दवाओं/विज्ञापनों को हटाने/वापस लेने के लिए ई-कॉमर्स भागीदारों और सोशल-मीडिया कंपनियों को सूचना ईमेल भेजे गए।

    इसका अध्ययन करने के बाद अदालत ने पतंजलि से पूछा कि क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहले से मौजूद विज्ञापनों को हटा दिया गया।

    जस्टिस कोहली ने पूछा,

    "मध्यस्थों से अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने उन्हें हटा दिया? आपने अनुरोध किया था, उन्होंने क्या किया?"

    चूंकि पक्षों की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई, इसलिए मामले को स्थगित कर दिया गया। अदालत ने पतंजलि को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी बताया गया कि क्या सोशल-मीडिया मध्यस्थों से किया गया अनुरोध स्वीकार किया और 14 आयुर्वेदिक दवाओं/सूत्रों के विज्ञापन हटा दिए गए हैं/वापस ले लिए गए।

    पतंजलि द्वारा हलफनामा 2 सप्ताह में दाखिल किया जाएगा।

    केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 645/2022

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