हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर को खोलने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Shahadat

15 July 2024 12:55 PM GMT

  • हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर को खोलने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    हरियाणा राज्य ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा शंभू सीमा को खोलने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    अपने 10 जुलाई के आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि उपर्युक्त सीमा पंजाब और हरियाणा तथा दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच नागरिकों की आवाजाही के लिए "जीवन रेखा" है। इसके बंद होने से आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।

    जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस विकास बहल की खंडपीठ ने दोनों राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि कानून और व्यवस्था बनी रहे और राजमार्ग को उसके "मूल गौरव" पर बहाल किया जाए।

    संक्षिप्त पृष्ठभूमि

    हरियाणा सरकार ने फरवरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पंजाब से प्रदर्शनकारियों को हरियाणा में प्रवेश करने से रोकने के लिए इस सीमा को बंद कर दिया था। इसके बाद जनहित याचिका में आम जनता, विशेष रूप से व्यापारियों, डिपार्टमेंटल स्टोर मालिकों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए शंभू सीमा खोलने के निर्देश मांगे गए, जो अंबाला को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं।

    हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि 400-450 प्रदर्शनकारी अभी भी हाईवे के पंजाब की तरफ बैठे हैं। वे अंबाला में प्रवेश कर एसपी कार्यालय का घेराव कर सकते हैं।

    हालांकि, कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

    "वर्दीधारी लोग उनसे डर नहीं सकते। हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता...उन्हें घेराव करने दें।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि हरियाणा सरकार द्वारा निवारक उपायों के कारण हाईवे बंद किया गया और तब से 5-6 महीने बीत चुके हैं। अपने निष्कर्षों का समर्थन करने के लिए, कोर्ट ने परिवहन के मुक्त प्रवाह में प्रतिबंधों के कारण होने वाली असुविधा को रेखांकित किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "जो डायवर्जन किया गया, उससे बहुत असुविधा हो रही है। परिवहन वाहनों और बसों का कोई मुक्त प्रवाह नहीं है, इसलिए आम जनता को बहुत असुविधा हो रही है।"

    कोर्ट ने यह भी तर्क दिया कि इससे पहले उसने कोई भी आदेश पारित करने से रोक दिया था क्योंकि सभा में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि अब प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या घटकर 400-500 रह गई है। न्यायालय ने अनिवार्य रूप से किसान यूनियन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वे कानून का पालन करें।

    उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए हरियाणा राज्य द्वारा दायर अन्य विशेष अनुमति याचिका भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

    केस टाइटल: हरियाणा राज्य बनाम उदय प्रताप सिंह, डायरी नंबर- 30656/2024

    Next Story