GST Act | क्या S.168A के तहत अधिसूचना द्वारा कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

Shahadat

25 Feb 2025 5:09 AM

  • GST Act | क्या S.168A के तहत अधिसूचना द्वारा कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

    सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या GST Act की धारा 168-ए के तहत अधिसूचना जारी करके कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने और आदेश पारित करने की समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है। यह प्रावधान सरकार को अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा को बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार देता है, जिसका अनुपालन अनिवार्य कारणों से नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने टिप्पणी की,

    "इस न्यायालय के विचारणीय मुद्दे यह हैं कि क्या GST Act की धारा 73 और SGST Act (तेलंगाना जीएसटी अधिनियम) के तहत वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने और आदेश पारित करने की समय-सीमा को GST Act की धारा 168-ए के तहत संबंधित अधिसूचना जारी करके बढ़ाया जा सकता था।"

    यह उल्लेख करना उचित है कि धारा 168 (1) इस प्रकार है:

    “168ए. विशेष परिस्थितियों में समय-सीमा बढ़ाने की सरकार की शक्ति.— (1) इस अधिनियम में निहित किसी भी बात के बावजूद, सरकार परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट, या निर्धारित या अधिसूचित समय-सीमा को उन कार्यों के संबंध में बढ़ा सकती है, जिन्हें अनिवार्य कारण के कारण पूरा या अनुपालन नहीं किया जा सकता है।”

    तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष उसके रिट क्षेत्राधिकार में याचिकाओं का समूह दायर किया गया। इसमें अन्य बातों के अलावा, उन्होंने क्रमशः अधिसूचना नंबर 13/2022, दिनांक 05.07.2022, 9 और 56/2023, दिनांक 31.03.2023 और 28.12.2023 की वैधता, वैधता और औचित्य को चुनौती दी।

    हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि कारण बताओ नोटिस 31.05.2024 को जारी किया गया था। हालांकि, अधिनियम की धारा 73 के तहत दी गई अधिकतम परिसीमा अवधि के बाद 29.08.2024 को आदेश पारित किया गया। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि कोई भी अप्रत्याशित परिस्थिति मौजूद नहीं थी। इस प्रकार, ऐसी शर्तों के अभाव में कोई अधिसूचना पारित नहीं की जा सकती। इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि COVID-19 छूट/विस्तार भी उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि यह 28.02.2022 तक चला।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा परिसीमा अवधि में ढील दिए जाने के आदेश पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि ये निर्देश उन कानूनों पर लागू होते हैं, जिनमें परिसीमा अवधि निर्धारित की गई। धारा 73 ऐसा ही एक प्रावधान है। पारित निर्देशों की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि यह नहीं कहा जा सकता कि वर्तमान कार्यवाही में परिसीमा अवधि का विस्तार लागू नहीं है।

    इसने यह भी पाया कि धारा 168ए उन कार्यों के संबंध में समय विस्तार प्रदान करती है, जो अनिवार्य कारण से पूरे नहीं किए जा सके।

    "जिस तरह से क़ानून यानी धारा 168ए को लिखा गया, उसमें इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि कानून निर्माताओं का इरादा इसे व्यापक छत्र प्रदान करना है, जिससे ऐसे कार्यों को इसके दायरे में लाया जा सके, जो अनिवार्य कारण से पूरे नहीं किए जा सके या जिनका अनुपालन नहीं किया जा सका। COVID-19 महामारी ने असाधारण कठिनाइयां पैदा कीं, जिनका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता, जिनका गणितीय सटीकता के साथ आकलन और समाधान नहीं किया जा सकता। इसलिए कई पहलुओं में बाल-विभाजन से बचना चाहिए। ऐसे असाधारण संकट से निपटने के दौरान, सरकार की कार्रवाई को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।"

    इसने मेसर्स बरहोनिया इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड बनाम बिहार राज्य में पटना हाईकोर्ट के फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें उसने अधिनियम की धारा 73 के तहत आदेश जारी करने की समयसीमा बढ़ाने वाली अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।

    इसके मद्देनजर, हाईकोर्ट ने याचिकाओं के वर्तमान सेट का निपटारा करते हुए कहा:

    “इस प्रकार, अधिसूचनाओं की वैधता का सवाल महत्वहीन हो जाता है। चूंकि 15.03.2020 से 28.02.2022 के बीच की अवधि को आदेश द्वारा परिसीमा की गणना के उद्देश्य से बाहर रखा गया, जो देश का कानून बन गया, इसलिए अधिसूचनाओं की वैधता से संबंधित शेष तर्क प्रकृति में अकादमिक हो गए।”

    इस फैसले के खिलाफ वर्तमान याचिकाकर्ता ने विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान, सीनियर एडवोकेट डॉ. मुरलीधर ने बताया कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट के बीच राय में मतभेद है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 07.03.2025 को दिया जाना है।

    Case Name: M/S HCC-SEW-MEIL-AAG JV v. ASSISTANT COMMISSIONER OF STATE TAX & ORS., Petition for Special Leave to Appeal (C) No.4240/2025

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