NALSA के निःशुल्क कानूनी सहायता कार्यक्रम के तहत दोषी की सहमति के बिना याचिका दायर करना प्रक्रिया का दुरुपयोग: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
28 Oct 2025 8:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एक दोषी द्वारा 2,298 दिनों की देरी से दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज की। न्यायालय ने कहा कि याचिका केवल कानूनी सहायता कार्यक्रम के तहत दोषी की सहमति के बिना दायर की गई और ऐसा करना प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ कमलजीत कौर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें 2018 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया था। यह याचिका हाईकोर्ट के फैसले के लगभग सात साल बाद कानूनी सहायता के माध्यम से दायर की गई।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने अत्यधिक देरी के लिए दिए गए स्पष्टीकरण को असंतोषजनक पाया और याचिकाकर्ता के वकील को जेल अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करने और देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
इस निर्देश के अनुसरण में पंजाब के कपूरथला स्थित केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने हलफनामा दायर कर कहा कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का कभी कोई इरादा नहीं जताया। हलफनामे में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि दोषी ने "विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए कभी संपर्क नहीं किया" और वह सुप्रीम कोर्ट में "इसे दायर करने का इच्छुक नहीं था"। इसमें स्पष्ट किया गया कि विशेष अनुमति याचिका केवल राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा कैदियों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के निर्देशों के अनुसरण में दायर की गई।
इस पर ध्यान देते हुए खंडपीठ ने कहा कि याचिका यंत्रवत् और दोषी की इच्छा के बिना दायर की गई।
न्यायालय ने कहा,
"उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए चूंकि याचिकाकर्ता ने इस न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर करने की कभी कोई इच्छा नहीं जताई, हमारा मानना है कि केवल NALSA कार्यक्रम के मद्देनजर विशेष अनुमति याचिका दायर करना प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इसे दायर करने में हुई देरी को बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं किया जा सकता।"
तदनुसार, खंडपीठ ने देरी के आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की और आदेश दिया कि सभी लंबित आवेदन बंद कर दिए जाएं।
Case : Kamaljit Kaur v State of Punjab

