'क्रिकेट के भगवान भी ऐसे ऐप्स का समर्थन कर रहे हैं': सट्टेबाजी ऐप्स और उनके सेलिब्रिटी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Avanish Pathak

23 May 2025 4:37 PM IST

  • क्रिकेट के भगवान भी ऐसे ऐप्स का समर्थन कर रहे हैं: सट्टेबाजी ऐप्स और उनके सेलिब्रिटी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप को इस आधार पर प्रतिबंधित/विनियमित करने की मांग की गई है कि वे 'जुआ' के समान हैं।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इवेंजलिस्ट डॉ केए पॉल (याचिकाकर्ता) की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया, जिन्होंने तर्क दिया कि ऑनलाइन/ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर सट्टेबाजी के कारण कई लोगों ने आत्महत्या की है।

    इस बात की ओर इशारा करते हुए कि इस तरह के ऐप के समर्थन को लेकर मशहूर हस्तियों और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह युवा, मासूम व्यक्तियों पर सेलिब्रिटी के समर्थन के दुष्प्रभावों पर ध्यान दे।

    डॉ केए पॉल ने अदालत को सूचित किया कि हाल के दिनों में अकेले तेलंगाना में आत्महत्या के 1000 से अधिक मामले सामने आए हैं।

    उन्होंने कहा,

    "मैं लाखों मरते हुए माता-पिता, भाई-बहनों की ओर से यहां आया हूं...तेलंगाना में 1023 लोगों ने आत्महत्या की...अभी 2 महीने से भी कम समय पहले, 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड अभिनेताओं/प्रभावशाली लोगों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है...ये 100 से अधिक प्रभावशाली लोग मासूम, युवा लोगों के जीवन से खेल रहे हैं...हमारी 60% आबादी 25 [वर्ष] से कम उम्र की है...900 मिलियन में से 300 मिलियन [30 करोड़] अवैध रूप से, अनैतिक रूप से फंस रहे हैं...अनुच्छेद 21 के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है"।

    शुरू में जस्टिस ने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे कानून के माध्यम से निपटाया जा सके।

    कोर्ट ने कहा,

    "इस मुद्दे को इस न्यायालय ने निपटाया है। लोग स्वेच्छा से ये काम कर रहे हैं। क्या किया जा सकता है? मूल रूप से हम आपके साथ हैं, अगर ऐसा किया जा सकता है, तो इसे रोका जाना चाहिए... लेकिन शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे कानून के ज़रिए रोका जा सकता है। यह वैसा ही है, जैसा कि आप लोगों को हत्या करने से रोक पाए हैं? आपके पास धारा 302 आईपीसी है, आपके पास मौत की सज़ा है, आपके पास सब कुछ है।"

    हालांकि, बाद में, जब डॉ केए पॉल ने तर्क दिया कि 900 मिलियन में से, 300 मिलियन भारतीय सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के माध्यम से "अवैध रूप से फंस रहे हैं", और यह उनके अनुच्छेद 21 के अधिकारों का उल्लंघन है, तो पीठ ने केंद्र से यह पूछने पर सहमति व्यक्त की कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए क्या कर रहा है।

    विशेष रूप से, डॉ केए पॉल ने "क्रिकेट के भगवान" सचिन तेंदुलकर द्वारा ऐसे ऐप्स के कथित समर्थन का संदर्भ दिया। "जब वह खुद समर्थन कर रहे हैं, तो एक अरब लोग सोचते हैं कि ओह यह एक अच्छा ऐप है", उन्होंने कहा। जवाब में जस्टिस कांत ने कहा, "क्योंकि उन्हें पता है कि आईपीएल देखने के नाम पर हज़ारों लोग सट्टा लगा रहे हैं"।

    अंततः, केवल यूनियन ऑफ इं‌डिया को नोटिस जारी किया गया, साथ ही न्यायालय ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो बाद में राज्यों को भी नोटिस जारी किए जाएंगे।

    डॉ. के.ए. पॉल द्वारा मांगी गई राहतों में अन्य बातों के साथ-साथ शामिल हैं:

    'क्रिकेट के भगवान भी ऐसे ऐप्स का समर्थन करते हैं': सट्टेबाजी ऐप्स और उनके सेलिब्रिटी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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