ग्राम न्यायालयों की स्थापना | सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन हलफनामे दाखिल न करने वाले राज्यों/हाईकोर्ट को चेतावनी दी
Shahadat
12 Sept 2024 10:38 AM IST
ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 के अनुसार देश में ग्राम न्यायालयों की स्थापना और क्रियान्वयन की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और हाईकोर्ट को चेतावनी जारी की, जिन्होंने उसके पिछले आदेश के अनुसार हलफनामे (ग्राम न्यायालयों की स्थापना और संचालन पर) दाखिल नहीं किए।
न्यायालय ने कहा,
"यदि अगली तिथि तक हलफनामे दाखिल नहीं किए गए तो हम मामले को गंभीरता से लेने के लिए बाध्य होंगे।"
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले में न्यायालय की सहायता के लिए सीनियर एडवोकेट निधेश गुप्ता और अधिवक्ता सुहासिनी को भी नियुक्त किया।
सुनवाई की शुरुआत में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बताया कि न्यायालय के पिछले आदेश के अनुसार, 41 हलफनामे दाखिल किए गए।
उन्होंने आगे कहा कि मध्यवर्ती पंचायत स्तर पर आवश्यक कुल ग्राम न्यायालयों में से केवल 5-6% ही प्रभावी हो पाए हैं। कुछ राज्य कह रहे हैं कि उन्हें ग्राम न्यायालयों की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके पास न्याय पंचायतें हैं, जबकि दोनों में बहुत अंतर है (ध्यान दें: ग्राम न्यायालयों में न्यायिक अधिकारी होते हैं)। कुछ अन्य राज्यों में हाईकोर्ट कह रहे हैं कि उन्होंने नियम बनाए हैं और राज्य सरकारों से ग्राम न्यायालयों को प्रभावी बनाने के लिए कहा है, लेकिन राज्य सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने कहा कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए राज्य सरकार को बार-बार याद दिलाने के बावजूद राज्य कोई कदम नहीं उठा रहा है।
वकीलों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश राज्य को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। जहां तक पिछले आदेश के अनुसार हलफनामे दाखिल न करने वाले राज्यों और हाईकोर्ट का सवाल है तो राज्य सरकारों के मुख्य सचिव और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करेंगे।
केस टाइटल: नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस एंड एएनआर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड ऑर्स., डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 1067/2019