कर्मचारी को रिटायरमेंट की आयु चुनने का कोई मौलिक अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
30 May 2025 6:01 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी कर्मचारी को अपने रिटायरमेंट की आयु निर्धारित करने का कोई अंतर्निहित अधिकार नहीं है। यह अधिकार राज्य के पास है, जिसे अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए उचित रूप से इसका प्रयोग करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा,
"किसी कर्मचारी को इस बात का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि वह किस आयु में रिटायर होगा।"
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता लोकोमोटर-विकलांग इलेक्ट्रीशियन है। उसको 58 वर्ष की आयु में रिटायर होने के लिए मजबूर किया गया था, जबकि इसी तरह के दृष्टिबाधित कर्मचारियों को 60 वर्ष तक सेवा करने की अनुमति दी गई थी।
दिनांक 29.03.2013 के कार्यालय ज्ञापन (OM) के माध्यम से दृष्टिबाधित कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई थी। बाद में राज्य सरकार द्वारा 04.11.2019 को OM वापस ले लिया गया, जिसमें रिटायरमेंट की आयु 58 वर्ष रखी गई। अपीलकर्ता 18.09.2018 को रिटायर हो गया और उसे राज्य सरकार द्वारा OM वापस लेने की तिथि तक विस्तार दिया गया।
यह विवाद तब हुआ जब अपीलकर्ता ने OM वापस लेने की तिथि से परे यानी 04.11.2019 यानी 60 वर्ष की आयु पूरी होने तक रोजगार जारी रखने का दावा किया।
अपीलकर्ता को अन्य समान स्थिति वाले कर्मचारियों को दिए गए समान रिटायरमेंट लाभों की अनुमति देने से इनकार करने वाले विवादित निर्णय को अलग रखते हुए न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता अन्य कर्मचारियों को दिए गए समान लाभों का हकदार है, लेकिन स्पष्ट किया कि लाभ उसे OM वापस लेने की तिथि तक मिलेंगे, क्योंकि OM 04.11.2019 तक लागू था।
अदालत ने कहा,
लेकिन, इससे उन्हें 04.11.2019 से आगे सेवा विस्तार का दावा करने का अधिकार नहीं मिलेगा, क्योंकि रिटायरमेंट की तिथि का निर्धारण कार्यकारी का नीतिगत निर्णय है, जहां कर्मचारी को अपनी रिटायरमेंट की आयु निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने आगे कहा,
“इसलिए हमारे विचार में जिस तारीख को 04.11.2019 का OM जारी किया गया, उस तारीख को अपीलकर्ता को 60 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए हमारा विचार है कि अपीलकर्ता 04.11.2019 से आगे सेवा में बने रहने का हकदार नहीं है, यानी जिस तारीख को 29.03.2013 का OM वापस लिया गया था।”
तदनुसार, न्यायालय ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि अपीलकर्ता 04.11.2019 तक सेवा में बने रहने के लाभ का हकदार होगा। इसके बाद 01.10.2018 से 04.11.2019 तक पूर्ण वेतन का हकदार होगा। साथ ही सभी परिणामी लाभ जो उसकी पेंशन को प्रभावित कर सकते हैं।
Case Title: KASHMIRI LAL SHARMA VERSUS HIMACHAL PRADESH STATE ELECTRICITY BOARD LTD. & ANR.