ED को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित में देना होगा: सुप्रीम कोर्ट ने 'पंकज बंसल' फैसले के खिलाफ केंद्र की पुनर्विचार खारिज की

Shahadat

22 March 2024 11:22 AM GMT

  • ED को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित में देना होगा: सुप्रीम कोर्ट ने पंकज बंसल फैसले के खिलाफ केंद्र की पुनर्विचार खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने पंकज बंसल बनाम भारत संघ की पुनर्विचार की मांग करने वाली केंद्र की याचिका को खारिज कर दी। उक्त मामले में कोर्ट ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को आरोपी को गिरफ्तारी के कारणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करना होगा।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि फैसले में ऐसी कोई त्रुटि नहीं है, जिस पर पुनर्विचार की जरूरत हो।

    खंडपीठ ने आगे कहा,

    “हमने पुनर्विचार याचिकाओं और संबंधित कागजातों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया। आक्षेपित आदेश में यह बहुत कम स्पष्ट है कि इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।''

    इस डिविजन बेंच ने पिछले अक्टूबर में इस मामले में अपना फैसला सुनाया था। ऐसा करते हुए अदालत ने रियल एस्टेट समूह एम3एम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी भी रद्द कर दी।

    न्यायालय ने तर्क दिया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 19, जो ED के अधिकारियों को धन शोधन अपराध के दोषी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती है, इस अभिव्यक्ति का उपयोग करती है कि आरोपी को 'ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाएगा'। उक्त धारा यह निर्दिष्ट नहीं करती है कि गिरफ्तारी के आधार को कैसे सूचित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, हाल के विजय मदनलाल चौधरी और सेंथिल बालाजी मामलों में भी इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया।

    अदालत ने मौजूदा मामले में अपनाए गए दृष्टिकोण के लिए केंद्रीय एजेंसी को कड़ी फटकार लगाई, जिसके द्वारा आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में नहीं दिया गया था। यह देखते हुए कि ED अधिकारी ने केवल गिरफ्तारी के आधार को पढ़ा, अदालत ने कहा कि ऐसा आचरण संविधान के अनुच्छेद 22(1) और अधिनियम की धारा 19(1) के आदेश को पूरा नहीं करेगा।

    संविधान के अनुच्छेद 22(1) में प्रावधान है कि गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में यथाशीघ्र सूचित किए बिना हिरासत में नहीं लिया जाएगा।

    इस संबंध में निर्णय ने दृढ़ता से कहा,

    "यह गिरफ्तार व्यक्ति को दिया गया मौलिक अधिकार है, गिरफ्तारी के आधार की जानकारी देने का तरीका आवश्यक रूप से सार्थक होना चाहिए, जिससे इच्छित उद्देश्य की पूर्ति हो सके।"

    खंडपीठ ने गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

    मौजूदा मामले में ED के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए खंडपीठ ने कहा,

    "घटनाओं का यह कालानुक्रम बहुत कुछ कहता है और ED की कार्यशैली पर नकारात्मक रूप से नहीं तो खराब रूप से प्रतिबिंबित करता है।"

    फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद केंद्र ने इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

    केस टाइटल: भारत संघ बनाम पंकज बंसल, डायरी नं. 50448/2023

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