हाईकोर्ट के अवैध रेत खनन मामले की जांच पर रोक लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ED
Shahadat
4 Nov 2024 10:23 PM IST
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कथित अवैध रेत खनन के संबंध में निजी ठेकेदारों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच करने पर रोक लगाई गई थी।
यह मामला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिसने इस स्तर पर नोटिस जारी किए बिना पक्षकारों से विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में निपटाए गए अपराध के अभाव में PMLA के तहत अनंतिम कुर्की के पहलू पर अपने नोट दाखिल करने को कहा।
संक्षेप में मामला
ED ने अवैध रेत खनन से संबंधित चार FIR के आधार पर कुछ निजी ठेकेदारों के खिलाफ ECIR दर्ज की। इसके बाद तलाशी ली गई और जिला कलेक्टरों और निजी पक्षों को समन भेजे गए। ठेकेदारों की संपत्तियों के संबंध में अनंतिम कुर्की आदेश भी पारित किए गए।
के गोविंदराज और 2 अन्य ठेकेदारों ने मुख्य आधार पर कार्यवाही को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि ED के पास PMLA के तहत कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं है। यह प्रस्तुत किया गया कि जिन FIR के आधार पर PMLA की कार्यवाही शुरू की गई, उनमें अपराध की किसी भी आय का खुलासा नहीं हुआ। इस प्रकार, ED अधिकार क्षेत्र ग्रहण नहीं कर सकता।
दूसरी ओर, ED ने तर्क दिया कि केवल इसलिए कि ECIR ने चार FIR का उल्लेख किया है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे प्राधिकरण के लिए उपलब्ध एकमात्र सामग्री हैं। एजेंसी ने तर्क दिया कि राज्य में अवैध रेत खनन था, जिससे अपराध की आय उत्पन्न होगी। अनंतिम कुर्की आदेशों के संबंध में ED ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास वैकल्पिक उपाय था और रिट याचिका विचारणीय नहीं थी। रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि ED ने बिना किसी आधार के और अपराध की किसी भी आय की पहचान किए बिना PMLA के तहत कार्यवाही शुरू की।
इसके अलावा, इसने नोट किया कि रेत खनन PMLA के तहत अनुसूचित अपराध के रूप में शामिल नहीं है। हाईकोर्ट का यह भी मानना था कि जब तक अनुसूचित अपराध के संबंध में मामला दर्ज नहीं किया जाता और ऐसे अपराध से अपराध की आय उत्पन्न नहीं होती, तब तक ED कोई कार्रवाई शुरू नहीं कर सकता। इसने आगे कहा कि ED ने याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अनुसूचित अपराध या FIR में आरोपित कृत्यों के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया।
न्यायालय ने कहा कि भले ही अपराध की आय हो, ED इस आधार पर संपत्ति कुर्क करने का अधिकार क्षेत्र नहीं ले सकता कि वे गलत तरीके से अर्जित की गई।
अस्थायी कुर्की आदेशों के संबंध में यह राय थी कि ED की अनंतिम कुर्की करने की शक्ति का उपयोग केवल असाधारण मामलों में किया जा सकता है, जहां तत्काल उपाय की आवश्यकता होती है और नियमित रूप से नहीं। वर्तमान मामले के तथ्यों में यह कहा गया कि PMLA के तहत कार्यवाही शुरू करना अनुचित था।
इस प्रकार, यह देखते हुए कि ED की कार्रवाई अधिकार क्षेत्र के बाहर थी, हाईकोर्ट ने अनंतिम कुर्की आदेशों को रद्द करना उचित समझा। इस निर्णय का विरोध करते हुए ED ने वर्तमान याचिका दायर की।
केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय और अन्य बनाम के. गोविंदराज एवं अन्य, एसएलपी(सीआरएल) नंबर 14355/2024