राजमार्गों को अतिक्रमण मुक्त रखना केंद्र सरकार का कर्तव्य: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश

Shahadat

22 May 2025 7:05 PM IST

  • राजमार्गों को अतिक्रमण मुक्त रखना केंद्र सरकार का कर्तव्य: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश

    राष्ट्रीय राजमार्गों पर अतिक्रमण हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राजमार्ग प्रशासन को कई निर्देश जारी किए। साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों (भूमि और यातायात) नियंत्रण अधिनियम, 2002 के तहत वैधानिक प्रावधानों के अप्रभावी कार्यान्वयन पर असंतोष व्यक्त किया।

    निर्देशों में शामिल हैं - भारत संघ और राजमार्ग प्रशासन को अतिक्रमण की शिकायतों को दर्ज करने के लिए राजमार्गयात्रा ऐप का व्यापक प्रचार करना चाहिए, राजमार्ग निरीक्षण टीमों के लिए एसओपी जारी करना चाहिए और राजमार्गों पर गश्त के लिए राज्य पुलिस के साथ निगरानी दल बनाना चाहिए।

    अधिकारियों को एमिक्स क्यूरी स्वाति घिल्डियाल के सुझावों पर भी विचार करना चाहिए और उन्हें लागू करना चाहिए, जिसमें निरीक्षण टीमों पर परिपत्र जारी करना, निगरानी दल बनाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना और राजमार्गयात्रा ऐप और शिकायत पोर्टल में सुधार करना शामिल है।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा और 2002 अधिनियम तथा राजमार्ग प्रशासन नियम, 2004 के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए एक रिट याचिका पर निर्देश जारी किए।

    न्यायालय ने कहा,

    “वास्तव में अधिनियम 2002 के तहत धारा 23 के रूप में एक प्रावधान है, जो यह निर्धारित करता है कि राजमार्ग भूमि को केंद्र सरकार की संपत्ति माना जाएगा। इसलिए राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव करना केंद्र सरकार का दायित्व है। राजमार्गों के रखरखाव में उन्हें अच्छी स्थिति में रखने का दायित्व शामिल है। इसमें उन्हें अतिक्रमण से मुक्त रखना और सबसे महत्वपूर्ण बात दुर्घटनाओं की संभावना को कम करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करना भी शामिल है।”

    याचिकाकर्ता ज्ञान प्रकाश ने “भारत में सड़क दुर्घटनाएं - 2017” रिपोर्ट के आंकड़ों पर भरोसा करते हुए कहा कि उस वर्ष भारतीय राजमार्गों पर 53,181 लोग मारे गए। उन्होंने तर्क दिया कि अधिनियम 2002 के तहत प्रवर्तन की कमी ने असुरक्षित स्थितियों में योगदान दिया और व्यापक निर्देश मांगे। अधिनियम 2002 की धारा 3 केंद्र सरकार को राजमार्ग प्रशासन स्थापित करने का अधिकार देती है। अधिनियम की धारा 24 और 26 राजमार्ग भूमि पर अनधिकृत कब्जे को रोकने और हटाने से संबंधित हैं।

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अधिनियम की धारा 26 की उप-धारा (2) से (6) प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप नोटिस-आधारित प्रक्रिया निर्धारित करती है, जबकि उप-धारा (7) और (8) अत्यावश्यक परिस्थितियों में तत्काल हटाने की अनुमति देती है। न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव करने के लिए बाध्य है। इसमें अतिक्रमण को रोकना भी शामिल है।

    16 सितंबर, 2019 को जारी अधिसूचना ने राजमार्ग प्रशासन का गठन किया, जिसमें MoRTH, NHAI और NHIDCL के सीनियर अधिकारी शामिल हैं। न्यायालय ने राजमार्ग प्रशासन (संशोधन) नियम, 2019 पर भी ध्यान दिया, जिसने 2004 के नियमों के नियम 3 को प्रतिस्थापित किया। संशोधित नियम राजमार्ग प्रशासन पर विशिष्ट कर्तव्य लगाता है, जैसे कि नीतियां बनाना, SOP जारी करना, यातायात को विनियमित करना और प्रवर्तन की निगरानी करना। हालांकि, न्यायालय को इन कर्तव्यों के अनुपालन को दर्शाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं मिली।

    न्यायालय ने आगे कहा कि टोल-फ्री नंबर (1033) दुर्घटनाओं और असुरक्षित स्थितियों की रिपोर्टिंग की अनुमति देता है, यह स्पष्ट नहीं था कि अतिक्रमण की शिकायतें स्वीकार की जा रही थीं या नहीं। इसी तरह मोबाइल ऐप “राजमार्गयात्रा” जियो-टैग्ड सबमिशन की अनुमति देता है। शिकायतों को ट्रैक करता है, लेकिन निवारण और फीडबैक तंत्र पर कोई स्पष्टता नहीं है।

    न्यायालय ने कहा कि ऐप में सुधार किया जा रहा है और NHAI शिकायतों को ट्रैक करने और अपील दायर करने के विकल्पों के साथ एक समर्पित पोर्टल विकसित कर रहा है।

    अंतत: न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

    1. राजमार्ग प्रशासन को अधिनियम 2002 की धारा 3 के तहत तीन महीने के भीतर संयुक्त सचिव, राजमार्ग, MoRTH के माध्यम से हलफनामा दाखिल करना चाहिए, जिसमें 2019 में संशोधित 2004 के नियमों के नियम 3 के तहत कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण हो।

    2. भारत संघ और राजमार्ग प्रशासन को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से राजमार्गयात्रा ऐप का व्यापक प्रचार करना चाहिए और तीन महीने के भीतर टोल और फूड प्लाजा पर दृश्यता सुनिश्चित करनी चाहिए।

    3. संयुक्त सचिव, राजमार्ग, MoRTH को ऐप के माध्यम से प्राप्त शिकायतों का विवरण दर्ज करना चाहिए, जिसमें अनधिकृत कब्जे के बारे में शिकायतें और की गई कार्रवाई शामिल हैं। NHAI को तीन महीने के भीतर शिकायत निवारण पोर्टल बनाने के संबंध में अनुपालन की रिपोर्ट भी देनी चाहिए।

    4. राजमार्ग प्रशासन को राजमार्ग निरीक्षण टीमों के गठन और कामकाज के लिए विस्तृत SOP जारी करना चाहिए।

    5. केंद्र सरकार को राजमार्ग गश्त के लिए राज्य पुलिस या अन्य बलों को शामिल करते हुए निगरानी दल का गठन करना चाहिए। अनुपालन की रिपोर्ट तीन महीने के भीतर देनी होगी।

    6. राजमार्ग प्रशासन और उसके सदस्यों को 5 अक्टूबर, 2024 को औपचारिक बैठक में चर्चा के बाद एमिक्स क्यूरी द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर विचार करना चाहिए और उन्हें लागू करना चाहिए।

    5 अक्टूबर, 2024 को एमिक्स क्यूरी स्वाति घिल्डियाल ने राजमार्ग सुरक्षा और अधिनियम 2002 के प्रवर्तन में सुधार के लिए कई उपाय सुझाते हुए एक नोट प्रस्तुत किया। उन्होंने राजमार्ग निरीक्षण टीमों के गठन, कर्तव्यों और निरीक्षण कार्यक्रमों को रेखांकित करने वाले विस्तृत परिपत्र जारी करने की सिफारिश की। साथ ही अतिक्रमणों के लिए स्पष्ट रिपोर्टिंग तंत्र भी सुझाया।

    उन्होंने राजमार्गों की नियमित गश्त के लिए राज्य पुलिस को शामिल करते हुए समर्पित निगरानी दल स्थापित करने और निरंतर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी सुझाव दिया।

    शिकायत निवारण के संबंध में उन्होंने “राजमार्गयात्रा” मोबाइल ऐप में कमियों की ओर इशारा किया, जिसमें शिकायत समाधान प्रक्रिया पर स्पष्टता की कमी और फीडबैक विकल्प की अनुपस्थिति शामिल है। उन्होंने ऐप को बेहतर बनाने और एक समर्पित पोर्टल विकसित करने का सुझाव दिया, जहां नागरिक जियो-टैग की गई शिकायतें अपलोड कर सकें, उनकी स्थिति को ट्रैक कर सकें और अपील दायर कर सकें।

    सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्ग प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को इन सुझावों पर विचार करने और उन्हें लागू करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने अनुपालन की रिपोर्ट के लिए मामले को 15 सितंबर, 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया।

    Case Title – Gyan Prakash v. Union of India & Ors.

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