BREAKING| DRI अधिकारी कस्टम एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
7 Nov 2024 1:09 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के अधिकारियों को कस्टम एक्ट, 1962 (Customs Act) के तहत शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार है, जिससे वे कारण बताओ नोटिस जारी कर सकें और शुल्क वसूल सकें।
कोर्ट ने माना कि DRI अधिकारी कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 28 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए "उचित अधिकारी" हैं।
कोर्ट ने माना,
"फैसले में की गई टिप्पणियों के अधीन, राजस्व खुफिया निदेशालय, कस्टम-निवारक आयुक्तालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय और इसी तरह की स्थिति वाले अन्य अधिकारी कस्टम एक्ट की धारा 28 के प्रयोजनों के लिए "उचित अधिकारी" हैं और कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए सक्षम हैं।"
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम कस्टम आयुक्त मामले में 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कस्टम विभाग द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को अनुमति दी, जिसमें कहा गया कि राजस्व खुफिया निदेशालय के अधिकारियों के पास कस्टम एक्ट, 1962 के तहत शक्तियां नहीं हैं।
जस्टिस पारदीवाला, जिन्होंने फैसला सुनाया, उन्होंने निम्नलिखित निष्कर्ष पढ़े-
1. राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना नंबर 19/90 दिनांक 26.04.1990 के तहत DRI अधिकारियों को कस्टम अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। इस अधिसूचना को बाद में राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना नंबर 17/2002 दिनांक 07.03.2002 के तहत हटा दिया गया।
2. कैनन इंडिया की पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका निम्नलिखित कारणों से अनुमति दी जाती है। केंद्रीय उत्पाद एवं कस्टम बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर नंबर 4/99 दिनांक 15.02.1999, जिसने DRI के अधिकारियों को अधिनियम की धारा 28 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार दिया था। साथ ही अधिसूचना नंबर 44/2011 दिनांक 06.07.2011, जिसने धारा 17 और 28 के प्रयोजनों के लिए DRI के अधिकारियों को "उचित अधिकारियों" के कार्य सौंपे थे, कैनन इंडिया में कार्यवाही के दौरान इस न्यायालय के संज्ञान में नहीं लाए गए। दूसरे शब्दों में कैनन इंडिया में निर्णय सर्कुलर और अधिसूचना को देखे बिना दिया गया थ, इसलिए इसकी शुद्धता पर गंभीर प्रभाव पड़ा। कैनन इंडिया में निर्णय वैधानिक योजना पर गौर करने में विफल रहा।
कारण बताओ नोटिस के लिए लंबित चुनौतियों का फैसला कैसे किया जाए?
न्यायालय ने कहा कि उपर्युक्त विशेष श्रेणी के अधिकारियों द्वारा जारी किए गए ऐसे कारण बताओ नोटिसों की स्थिरता को चुनौती देने पर, इस आधार पर कि वे उचित अधिकारी नहीं हैं, जो विभिन्न मंचों के समक्ष लंबित हैं, अब निम्नलिखित तरीके से निपटा जाएगा-
1. जहां कारण बताओ नोटिस को रिट याचिकाओं के माध्यम से सीधे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई, संबंधित हाईकोर्ट इस निर्णय में टिप्पणियों के अनुसार डब्लूपी का निपटारा करेंगे और ऐसे नोटिसों को न्यायनिर्णयन के लिए बहाल करेंगे।
2. जहां रिट याचिकाओं का निपटारा संबंधित हाईकोर्ट द्वारा किया गया और अपील इस न्यायालय के समक्ष लंबित हैं, उन्हें इस निर्णय के अनुसार निपटाया जाएगा।
3. जहां प्राधिकरण द्वारा पारित मूल आदेशों को अधिकार क्षेत्र के आधार पर हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जाती है, हाईकोर्ट संबंधित करदाता को संबंधित प्राधिकरण, CETSTAT के समक्ष अपील करने के लिए 8 सप्ताह का समय देंगे।
4. जहां रिट याचिकाओं का निपटारा हाईकोर्ट द्वारा कर दिया गया और अपीलें इस न्यायालय में लंबित हैं, उनका निपटारा इस निर्णय के अनुसार किया जाएगा। यह न्यायालय संबंधित करदाता को CETSTAT के समक्ष उचित अपील करने के लिए 8 सप्ताह का समय देगा।
5. जहां CETSTAT के आदेशों को क्षेत्राधिकार के आधार पर हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जाती है, उन पर इस निर्णय के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
केस टाइटल: कस्टम आयुक्त बनाम मेसर्स कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड | आर.पी.(सी) नंबर 000400 - / 2021