सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को 158 सिविल जजों की सीधी भर्ती की अनुमति दी
Praveen Mishra
4 Feb 2025 4:58 PM IST

जिला न्यायपालिका में लंबित रिक्तियों के मुद्दे की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 फरवरी) कर्नाटक हाईकोर्ट को न्यायपालिका में सीधी भर्ती को रोकने वाले राज्य सरकार के परिपत्र के बावजूद 158 सिविल जजों की भर्ती की चयन प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस KV विश्वनाथन की खंडपीठ को सूचित किया गया कि कर्नाटक सरकार ने 15 नवंबर, 2024 के अपने परिपत्र में कर्नाटक न्यायिक सेवा (भर्ती) (संशोधन) नियम 2024 के तहत आरक्षण में संशोधन करके सीधी भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया।
चीफ़ जस्टिस ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि हाईकोर्ट केवल एक अंतरिम उपाय के रूप में चयन प्रक्रिया जारी रखे।
खंडपीठ ने कहा, ''नोटिस जारी करें और अंतरिम उपाय के रूप में हम निर्देश देते हैं कि कर्नाटक में 158 सिविल जजों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा जारी 15.11.24 के परिपत्र के बावजूद जारी रहेगी। यह आदेश आवेदन पर अंतिम परिणाम / निर्णय के अधीन है "
दिल्ली न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय आवास पर
वर्ष 2023 में केंद्र सरकार के भूमि और विकास कार्यालय (L&DO) को यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने का निर्देश दिया गया था कि राउज़ एवेन्यू परियोजना के लिये उपलब्ध खाली क्षेत्र का कब्जा 31 दिसंबर 2023 तक दिल्ली हाईकोर्ट को शीघ्रता से सौंप दिया जाए। यह निर्देश न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय आवास के निर्माण के मुद्दे के आलोक में था।
आज, अदालत ने संघ को नई दिल्ली में 206 राउज एवेन्यू में भूमि पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने कहा, ''भारत सरकार नयी दिल्ली के 206 राउज एवेन्यू में स्थित जमीन की स्थिति और सही स्थिति पर हलफनामा दायर करेगी। इस आदेश की एक प्रति एल एंड डीओ कार्यालय को भेजी जाएगी। 1 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह की सूची।
इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने बिहार राज्य को निम्नलिखित निर्देश भी दिए:
बिहार सरकार को नोटिस जारी करें, वे बिहार सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) (भर्ती नियम 1955) के संशोधित नियम 18 की अधिसूचना के लिए किए गए अनुरोध को तुरंत संसाधित करेंगे। यदि उन्हें अधिसूचना पर कोई आपत्ति है, तो उन्हें आज से 15 दिनों की अवधि के भीतर हाईकोर्ट या इस न्यायालय को सूचित करना होगा।
बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली हाईकोर्ट की दलीलें अगली तारीख को सुनी जाएंगी।