'अदालत का समय बर्बाद नहीं किया जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ FCI की याचिका खारिज की
Shahadat
10 Dec 2024 10:24 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) और मंडल प्रबंधक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि उसकी विशेष अनुमति याचिका खारिज की। साथ ही मौखिक रूप से टिप्पणी की कि एसएलपी दाखिल करने की सलाह नहीं दी जानी चाहिए।
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के एसएलपी समक्ष आई, जिसने शुरू में टिप्पणी की कि वे याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाएंगे। न्यायालय ने पाया कि वर्तमान याचिकाकर्ताओं ने त्रिपुरा हाईकोर्ट, अगरतला द्वारा पारित 19 अक्टूबर, 2023 के सामान्य विवादित आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसे पहले याचिकाकर्ताओं ने एसएलपी दाखिल करके इस न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी।
उक्त एसएलपी को इस न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने 4 जनवरी के आदेश में खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ताओं को पुनर्विचार याचिका दाखिल करके हाईकोर्ट जाने की कोई स्वतंत्रता नहीं दी गई। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने उक्त एसएलपी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे हाईकोर्ट ने 10 जुलाई के अपने आदेश के तहत खारिज कर दिया, जिसके खिलाफ वर्तमान एसएलपी दायर की गई।
जस्टिस बेला ने सवाल किया:
"इसे जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए। आपने इसे दायर करने की हिम्मत कैसे की? रिकॉर्ड पर अधिवक्ता कौन है? बहस करें।"
याचिकाकर्ताओं के वकील पुरुषोत्तम शर्मा त्रिपाठी ने जब गुण-दोष पर संक्षेप में बोलना शुरू किया तो जस्टिस शर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा:
"आपकी एसएलपी आपको सुनने के बाद खारिज कर दी गई। फिर आप हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार दायर करते हैं। कानून के किस प्रावधान के तहत?"
जस्टिस बेला ने कहा:
"क्या स्वतंत्रता दी गई?"
इस पर वकील ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की कोई स्वतंत्रता नहीं दी गई।
उन्होंने जवाब दिया कि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता सुप्रीम कोर्ट से पहले प्राप्त की जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा:
"पुनर्विचार कैसे स्वीकार्य है? हम FCI पर जुर्माना लगाएंगे। आपको इस तरह से अदालत का समय बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। एक बार के लिए हम निजी पक्ष द्वारा जोखिम उठाने को समझ सकते हैं, लेकिन FCI को नहीं।"
वकील के बार-बार अनुरोध के बावजूद, अदालत ने जुर्माना लगाकर एसएलपी खारिज की। इसने वकील द्वारा एसएलपी वापस लेने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।
जुर्माना सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा किया जाएगा।
केस टाइटल: भारतीय खाद्य निगम और अन्य बनाम नमिता पॉल डायरी नंबर 50350-2024