क्या लोकायुक्त प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा दंड रद्द करने को चुनौती दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रश्न खुला छोड़ा

Shahadat

26 May 2025 12:32 PM IST

  • क्या लोकायुक्त प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा दंड रद्द करने को चुनौती दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रश्न खुला छोड़ा

    सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ दिया कि क्या लोकायुक्त के पास प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Administrative Tribunal) के उस निर्णय को चुनौती देने का अधिकार है, जिसमें कथित भ्रष्टाचार के लिए किसी व्यक्ति पर लगाए गए अनिवार्य रिटायरमेंट का दंड रद्द कर दिया गया था।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध लोकायुक्त की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने प्रतिवादी के विरुद्ध पारित अनिवार्य रिटायरमेंट (दंड के रूप में) का आदेश रद्द करने के कर्नाटक राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण के निर्णय को चुनौती देने वाली लोकायुक्त की याचिका खारिज कर दी थी।

    खंडपीठ ने उल्लेख किया कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने स्वयं प्रतिवादी की "मुक्ति" को चुनौती नहीं दी और अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी लोकायुक्त ने केवल इसलिए चुनौती दी, क्योंकि उसे कार्यवाही में पक्षकार बनाया गया।

    जस्टिस दत्ता ने टिप्पणी की,

    "आपको पक्षकार बनाने की आवश्यकता ही नहीं थी, उन्होंने आपको पक्षकार बना दिया, इसीलिए आप [...] मामले ला रहे हैं। आप कह रहे हैं कि न्यायाधिकरण ने गलती की। क्या अनुशासनात्मक प्राधिकारी आया है? क्या आप व्यथित हैं? आप कौन हैं? भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामले में आपराधिक न्यायालय द्वारा दोषमुक्ति दिए जाने के बाद जब मांग और स्वीकृति साबित नहीं होती है तो आप अनुशासनात्मक कार्यवाही में इसे कैसे साबित कर सकते हैं?"

    अंततः, 277 दिनों की देरी के कारण याचिका खारिज कर दी गई। हालांकि कानून का प्रश्न खुला रह गया।

    केस टाइटल: माननीय लोकायुक्त और अन्य बनाम मोहन दोड्डामणि और अन्य, डायरी नंबर 17688-2025

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