Bhojshala Temple-Kamal Maula Mosque | सुप्रीम कोर्ट का ASI सर्वेक्षण के खिलाफ मुतवल्ली की याचिका पर विचार करने से इनकार

Shahadat

6 April 2024 4:41 AM GMT

  • Bhojshala Temple-Kamal Maula Mosque | सुप्रीम कोर्ट का ASI सर्वेक्षण के खिलाफ मुतवल्ली की याचिका पर विचार करने से इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 अप्रैल) को कमल मौला मस्जिद परिसर के मुतवल्ली द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भोजशाला मंदिर सह मप्र में कमाल मौला मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वेक्षण के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती दी गई थी। ।

    जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि मुतवल्ली (क़ाज़ी मोइनुद्दीन) हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही में पक्षकार नहीं है। खंडपीठ ने सुझाव दिया कि वह सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय हाईकोर्ट (हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस द्वारा दायर रिट याचिका) के समक्ष मामले में हस्तक्षेप कर सकता है।

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को मस्जिद कमेटी (मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी) द्वारा दायर एसएलपी पर नोटिस जारी किया था। ASI सर्वेक्षण को रोकने से इनकार करते हुए न्यायालय ने अंतरिम निर्देश पारित किया कि ऐसी कोई खुदाई नहीं होनी चाहिए, जो संरचनाओं की भौतिक प्रकृति को बदल दे। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि विवादित आदेश के तहत सर्वेक्षण के नतीजे पर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

    मुतवल्ली द्वारा दायर एसएलपी पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने वकील से पूछा कि क्या वह हाईकोर्ट की कार्यवाही में पक्षकार है। इस पर वकील ने नकारात्मक जवाब दिया।

    इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने मौखिक रूप से कहा,

    “आप पहले हाईकोर्ट में आवेदन क्यों नहीं करते? आप सीधे यहां एसएलपी में आ रहे हैं, आप हस्तक्षेप दाखिल कर रहे हैं। ऐसा न हो कि आप वहां पक्षकार हों, पहले हाईकोर्ट... आप देखिए, आप हाईकोर्ट में चीजों को पहले से ही छोड़ रहे हैं। आप यहां अनुमति मांगेंगे, एक बार छुट्टी मिल जाने पर आप स्वत: ही हाईकोर्ट में खुद को पक्षकार बना लेंगे। आपने पहले खुद को हाईकोर्ट में पक्षकार क्यों नहीं बनाया?”

    जस्टिस रॉय ने कहा,

    “आप खुद को हाई कोर्ट में पक्षकार क्यों नहीं बनाते। एक आदेश है, इस न्यायालय द्वारा जो प्राप्त और पारित किया गया, उससे बेहतर आदेश आपको नहीं मिल सकता... आप हाईकोर्ट में पक्षकार बनें।

    इन टिप्पणियों के आलोक में न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

    "वकील अकबर सिद्दीकी का कहना है कि याचिकाकर्ता मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष लंबित (मामले) में कोई पक्ष नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता मुतवल्ली होने के नाते 11.03.2024 को खंडपीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश से प्रभावित है। जैसा भी हो, वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता इस मामले को दबाने के बजाय हाईकोर्ट में लंबित कार्यवाही में पक्षकार बनने की मांग करेगा और उसके बाद आगे बढ़ेगा। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए मामले को दबाया नहीं गया के रूप में निपटाया जाता है।

    भोजशाला, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित 11वीं सदी का स्मारक है, जिसे हिंदू और मुस्लिम अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। हिंदू इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला मस्जिद मानते हैं। 2003 के समझौते के अनुसार, हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को वहां नमाज अदा करते हैं।

    केस टाइटल: क़ाज़ी मोइनुद्दीन बनाम हिंदू फ्रंट फ़ॉर जस्टिस एंड अन्य |डायरी नंबर 13072-2024

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