'अंतरिम राहत रद्द करने के आवेदनों को लंबे समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक देने और हटाने पर हाईकोर्ट के लिए दिशानिर्देश जारी किए

Shahadat

1 March 2024 6:04 AM GMT

  • अंतरिम राहत रद्द करने के आवेदनों को लंबे समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक देने और हटाने पर हाईकोर्ट के लिए दिशानिर्देश जारी किए

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (29 फरवरी) को कार्यवाही पर रोक के अंतरिम आदेश पारित करने और ऐसे रोक को हटाने के लिए आवेदनों से निपटने में हाईकोर्ट द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए।

    मुख्य निर्णय लिखने वाले जस्टिस अभय एस ओक के माध्यम से बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि प्रभावित पक्षों को सुने बिना एकपक्षीय अंतरिम राहत देते समय हाईकोर्ट को आम तौर पर सीमित अवधि के लिए ऐसी राहत देनी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत अंतरिम आदेश की पुष्टि कर सकती है या उसे रद्द कर सकती है। आदेश में प्रासंगिक कारकों पर पर्याप्त विवेक लगाने का संकेत होना चाहिए।

    प्रतिस्पर्धी पक्षों की सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित होने के बाद भी हाईकोर्ट प्रभावित पक्ष को सुनवाई का अवसर दिए बिना इसे रद्द नहीं कर सकता। अंतरिम राहतें वापस लेने के आवेदनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, खासकर जब मुख्य मामले की तुरंत सुनवाई नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट को निर्देश दिया जाता है कि वे ऐसे आवेदनों में देरी न करें। यदि कोई पक्ष तथ्यों को छिपाने के कारण अंतरिम आदेश को रद्द करने के लिए आवेदन करता है तो उस पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए।

    ये दिशानिर्देश उस फैसले में जारी किए गए, जिसने 2018 एशियन रिसर्फेसिंग फैसले को उलट दिया। इसमें छह महीने के बाद अंतरिम आदेशों की स्वचालित समाप्ति अनिवार्य है, जब तक कि हाईकोर्ट द्वारा विस्तारित नहीं किया गया।

    इसे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों वाली पीठ ने सुनाया।

    मुख्य निर्णय लिखने वाले जस्टिस ओक के माध्यम से अदालत ने 2018 के फैसले में जारी पहले के निर्देश रद्द कर दिए, जिसमें कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अंतरिम आदेशों की स्वचालित समाप्ति के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

    केस टाइटल- हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य। | 2023 की आपराधिक अपील नंबर 3589

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