नई आबकारी नीति पर सभी महत्वपूर्ण निर्णय केजरीवाल के कहने पर लिए गए: CBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
Shahadat
23 Aug 2024 8:02 AM GMT
दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने और जमानत मांगने वाली दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कहा कि आबकारी नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय केजरीवाल के कहने पर लिए गए और उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले पर्याप्त सबूत हैं।
हलफनामे में कहा गया,
"याचिकाकर्ता के पास आबकारी सहित कोई भी मंत्री पद नहीं है। हालांकि, समय के साथ यह सामने आया कि नई आबकारी नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय याचिकाकर्ता के कहने पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए।"
गौरतलब है कि केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई, जिसके तहत CBI की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका को एकल न्यायाधीश की पीठ ने जमानत के लिए निचली अदालत में जाने की स्वतंत्रता के साथ खारिज किया था। उक्त याचिकाओं पर 14 अगस्त को नोटिस जारी किया गया था।
CBI ने अब इनमें से याचिका में जवाब दाखिल किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि केजरीवाल अदालत के समक्ष मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि विभिन्न अदालतों द्वारा अपराधों के प्रथम दृष्टया संतुष्ट होने के बावजूद बार-बार आदेश पारित किए गए।
इसमें कहा गया कि सह-आरोपियों के हार्ड ड्राइव और मोबाइल फोन से प्राप्त डेटा ने संबंधित लेनदेन और नीतिगत निर्णयों से केजरीवाल के संबंध की पुष्टि की है। मामले की योग्यता के आधार पर आगे कहा गया कि अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत करके केजरीवाल ने जानबूझकर आबकारी नीति 2021-22 में हेरफेर किया और गोवा में आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनाव संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की अवैध रिश्वत के बदले बिना किसी तर्क के थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% करवा लिया।
एजेंसी के अनुसार, केजरीवाल की गिरफ्तारी इसलिए जरूरी थी, क्योंकि उन्होंने अपने जवाबों में टालमटोल की और पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया, जिससे जांच में बाधा उत्पन्न हुई।
जहां तक उनके खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत की याचिका का सवाल है, एजेंसी का तर्क है कि केजरीवाल को तिहाड़ जेल अस्पताल (या हिरासत में किसी अन्य रेफर किए गए अस्पताल) में उपचार प्रदान किया जा सकता है।
कथित घोटाले से उत्पन्न धन शोधन मामले में पारित जमानत आदेशों पर केजरीवाल द्वारा रखे गए भरोसे का प्रतिवाद करते हुए एजेंसी का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
यह मामला शुक्रवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। केजरीवाल द्वारा दायर अन्य याचिका में CBI का जवाब दाखिल करने के लिए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा समय मांगे जाने पर मामले की सुनवाई 5 सितंबर को निर्धारित की गई।
केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 11023/2024 (और संबंधित मामला)