12वीं कक्षा के बाद 3 साल के लॉ डिग्री कोर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
Shahadat
17 April 2024 4:20 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में स्कूल के बाद 3 साल का लॉ डिग्री कोर्स करने का निर्देश देने की मांग की गई। वर्तमान समय में एलएलबी कोर्स, जिसमें स्टूडेंट 12वीं कक्षा के बाद शामिल हो सकते हैं, उसकी अवधि 5 वर्ष है। तीन वर्षीय कानून डिग्री कोर्स केवल ग्रेजुएट के लिए उपलब्ध है।
यह तर्क देते हुए कि एलएलबी कोर्स के लिए 5 साल की अवधि "अनुचित और अतार्किक" है, एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 12वीं कक्षा के बाद बैचलर ऑफ लॉ कोर्स जैसे बैचलर ऑफ साइंस, बैचलर ऑफ कॉमर्स और बैचलर ऑफ आर्ट 3-वर्षीय कोर्स शुरू करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई।
याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टूडेंट 03 साल यानी 06 सेमेस्टर में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं। इसलिए बैचलर ऑफ लॉ कोर्स के लिए 05 साल यानी 10 सेमेस्टर की वर्तमान अवधि अनुचित है और अत्यधिक अवधि मनमानी और तर्कहीन है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है।
याचिका में कहा गया,
"अनुचित 05 वर्ष का समय कई कारणों से मनमाना और अतार्किक है। पहला, बैचलर डिग्री देने के लिए समय की लंबाई आवश्यक नहीं है, दूसरे, 05 वर्ष की लंबी अवधि स्टूडेंट के लिए उपयुक्त नहीं है, तीसरा, 05 कीमती वर्ष यह कानून की पढ़ाई के लिए आनुपातिक नहीं है और चौथा, इससे छात्रों पर इतनी लंबी डिग्री पूरी करने के लिए अत्यधिक वित्तीय बोझ पड़ता है।''
याचिकाकर्ता ने बताया कि अवधि को घटाकर 3 साल करने से स्टूडेंट को अतिरिक्त 2 साल का कोर्ट प्रैक्टिस अनुभव प्राप्त हो सकेगा। राम जेठमलानी द्वारा 18 साल की उम्र में वकालत शुरू करने और फली एस नरीमन द्वारा 21 साल की उम्र में कानून की डिग्री पूरी करने का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता ने पूछा कि देश के युवाओं को कॉलेज में दो अतिरिक्त साल क्यों बर्बाद करने चाहिए?
उन्होंने पूछा,
"याचिकाकर्ता सम्मानपूर्वक निवेदन करता है कि यदि कॉलेज 12वीं कक्षा के तुरंत बाद 03 वर्षों में बैचलर ऑफ आर्ट्स, बैचलर ऑफ कॉमर्स और बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दे सकते हैं तो 03 वर्षों में बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री देना संभव क्यों नहीं है? प्रारंभिक ज्ञान या कानून हासिल करने के लिए आर्ट ग्रेजुएशन की आवश्यकता नहीं है, फिर स्टूडेंट को इसे प्राप्त करने में 2 साल बर्बाद करने के लिए क्यों मजबूर किया जाना चाहिए?"
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि नए कोर्स के लिए एडमिशन मई-जून में शुरू होने के कारण जल्द निर्णय दिया जाए।
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | डायरी क्रमांक 17329-2024