1984 Anti-Sikh Riots: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर की सजा निलंबित की याचिका पर CBI से जवाब मांगा
Shahadat
7 Dec 2024 12:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषियों में से पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर द्वारा दायर याचिका पर 2 सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें आजीवन कारावास की सजा निलंबित करने की मांग की गई।
2013 में खोखर को 1984 के सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराया गया था और ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI द्वारा दायर अपील में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा और सजा की पुष्टि की।
यह मामला 1-2 नवंबर, 1984 को दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-I इलाके में एक ही परिवार के पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या और 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राज नगर पार्ट-II में एक गुरुद्वारे को जलाने से संबंधित है। 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद दंगे भड़क उठे थे।
जस्टिस जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दोषियों के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया गया। इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 2013 में उनमें से पांच- खोकर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, किशन खोकर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया।
जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आया, खोखर की फरलो अर्जी भी लंबित है।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (CBI की ओर से) ने कहा कि वह 2 सप्ताह के भीतर जेल में उनके आचरण सहित नाममात्र रोल प्राप्त करेंगी। भाटी ने यह भी कहा कि अतीत में 3 मौकों पर उनकी जमानत खारिज हो चुकी है।
खोखर की ओर से पेश हुए वकील ने जब कहा कि उनके पास पहले से ही जेल अधिकारियों के प्रमाण पत्र हैं तो अदालत ने जवाब दिया कि एक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए।
इसके अलावा सज्जन कुमार की आपराधिक अपील भी इसी पीठ के समक्ष लंबित है। कुमार ने हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें धारा 120बी के साथ धारा 302, 436, 295 और 153ए (1) (ए) और (बी) आईपीसी के तहत दंडनीय आपराधिक साजिश के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई; धारा 109 आईपीसी के तहत उपरोक्त अपराधों को अंजाम देने के लिए उकसाने के अपराध के लिए; सिखों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण देने के अपराध के लिए। हाईकोर्ट ने अन्य आरोपियों की सजा की पुष्टि करते हुए निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को पलट दिया। जमानत मांगने वाली उनकी प्रार्थना को अदालत ने खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश को वर्तमान अपील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई। खोखर के मामले में जब यह लंबित था, 2020 में अदालत ने उन्हें अपने मृत पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 4 सप्ताह की पैरोल दी थी। बाद में उसी वर्ष उन्होंने महामारी के मद्देनजर अंतरिम जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की और याचिका में CBI को नोटिस जारी किया गया। उसी याचिका में सजा के निलंबन की मांग करते हुए आईए दायर किया गया।
केस टाइटल: बलवान खोखर बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, सीआरएल.ए. संख्या 1665-1666/2019 और सज्जन कुमार बनाम राज्य केंद्रीय जांच ब्यूरो के माध्यम से, सीआरएल.ए. संख्या 1642/2018।