नई आबकारी नीति के प्रावधान केवल नए आवेदनों पर लागू होंगे, पहले से मौजूद गोदामों पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

10 July 2025 2:47 PM

  • नई आबकारी नीति के प्रावधान केवल नए आवेदनों पर लागू होंगे, पहले से मौजूद गोदामों पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने शराब लाइसेंस धारक द्वारा दायर याचिका खारिज की। इस याचिका में उसने आशंका जताई थी कि राजस्थान आबकारी एवं विधिक संयम नीति 2024-25 में संशोधन के कारण उसका लाइसेंस नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि याचिका समय से पहले ही दायर की जा चुकी है और नई नीति के तहत नवीनीकरण न मिलने की आशंका मात्र याचिका को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस संदीप शाह की खंडपीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य है कि नई नीति भविष्य में भी लागू रहेगी और पुरानी नीति के तहत वैध तरीके से व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों पर नई नीति की कठोरता लागू नहीं हो सकती।

    न्यायालय ने कहा:

    "आबकारी नीति, 2025-2029 के तहत यह प्रावधान गोदाम स्थापित करने के लिए नए आवेदन पर लागू होगा, न कि पहले से मौजूद गोदाम के धारक पर।"

    यह पूरी तरह से स्थापित है कि नई नीति भविष्य में लागू होगी और पुरानी नीति के तहत कानूनी तरीके से व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों पर खंड 2.12.3 के तहत प्रदान की गई नई नीति की कठोरता लागू नहीं की जा सकती।

    याचिकाकर्ता ने शराब का लाइसेंस प्राप्त किया था, जिसे नीति के तहत 2025 तक नवीनीकृत किया गया। नीति में एक खंड 2.7.3 था, जिसके अनुसार यदि दुकान किसी अन्य पड़ोसी लाइसेंस प्राप्त दुकान से 1 किमी से कम दूरी पर स्थित है, या शहरी क्षेत्रों में स्थित दुकानें पड़ोसी लाइसेंस प्राप्त दुकानों से 50 मीटर से कम दूरी पर स्थित हैं, तो लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।

    हालांकि, 2025-2029 की नई नीति में संशोधन किया गया और ये दूरियां क्रमशः 3 किमी और 500 मीटर तक बढ़ा दी गईं। जब याचिकाकर्ता ने नई नीति के तहत 2025 से 2029 तक के लिए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया तो एक तीसरे पक्ष ने नई नीति के तहत दूरी की आवश्यकता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई।

    इसके बाद एक जांच हुई और आबकारी निरीक्षक द्वारा याचिका की अनुमति रद्द करने की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट के आधार पर जिला आबकारी अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।

    याचिकाकर्ता की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को नई नीति में निर्धारित दूरी बनाए रखने के लिए कहा गया और कहा गया कि इस तरह के बड़े बदलाव से लाइसेंस धारकों को अपनी दुकानों/गोदामों को अत्यधिक लागत पर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह भी तर्क दिया गया कि ऐसी आवश्यकता अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) के तहत याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन करेगी।

    तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता केवल आशंका के आधार पर न्यायालय में आया और याचिकाकर्ता की चिंता अनावश्यक, समय से पहले और किसी भी वैध आधार पर आधारित नहीं लगती।

    इसके अलावा, खोडे डिस्टिलरीज लिमिटेड एवं अन्य बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य के सुप्रीम कोर्ट के मामले का संदर्भ दिया गया, जिसमें यह माना गया कि किसी भी नागरिक को शराब का व्यापार करने का मौलिक अधिकार नहीं है। इसके अलावा, यह भी देखा गया कि केवल कठिनाई वैधानिक प्रावधान को चुनौती देने का आधार नहीं है, जो अन्यथा सभी नए आवेदकों पर समान रूप से लागू होता है। इसलिए अनुच्छेद 19(1)(जी) का कोई उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    अंत में, जारी किए गए कारण बताओ नोटिस की वैधता का आकलन करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय ने कहा कि जिला आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक की सिफारिशों से बाध्य नहीं है। याचिकाकर्ता प्रतिकूल निर्णय की स्थिति में न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।

    तदनुसार, याचिका को वर्तमान चरण में अपरिपक्व माना गया और उसे खारिज कर दिया गया।

    Title: Tulachhi wife of Dhanraj v State of Rajasthan & Ors.

    Next Story