पूर्व में की गई निंदा कर्मचारी की पदोन्नति पर विचार करने से नहीं रोक सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

17 Nov 2025 7:57 PM IST

  • पूर्व में की गई निंदा कर्मचारी की पदोन्नति पर विचार करने से नहीं रोक सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी पर लगाए गए दंड के बावजूद, विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) पदोन्नति के लिए कर्मचारी की उपयुक्तता पर निर्णय ले सकती है और केवल लगाए गए दंड के आधार पर पदोन्नति पर विचार करने से इनकार नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस फरजंद अली की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता (लेक्चरर) को वर्ष 2022-23 के लिए डीपीसी द्वारा केवल वर्ष 2019 में उसकी पूर्व में की गई निंदा के आधार पर पदोन्नति से वंचित करने को चुनौती दी गई, जिसमें उसे इस आधार पर पदोन्नति के लिए अयोग्य घोषित किया गया।

    राज्य का तर्क था कि चूंकि याचिकाकर्ता को पिछले सात वर्षों में निंदा के दंड से दंडित किया गया, इसलिए याचिकाकर्ता की पदोन्नति पर विचार नहीं किया गया, क्योंकि यह दंड का एक स्वाभाविक परिणाम और प्रभाव था।

    इसके विपरीत, याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि केवल निंदा दंड के आधार पर पदोन्नति के लिए उनके विचार न करना उचित नहीं है, क्योंकि पदोन्नति का मानदंड वरिष्ठता-सह-योग्यता है, ऐसे में दंड पदोन्नति से इनकार करने का मानदंड नहीं हो सकता।

    तर्कों पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने राजस्थान राज्य एवं अन्य बनाम अशोक सिंघवी के समन्वय पीठ के निर्णय का संदर्भ दिया और कहा,

    "खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि दंड के बावजूद, डीपीसी, पदधारी की पदोन्नति के लिए उपयुक्तता का निर्णय कर सकती है। इस विचार को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।"

    इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया और प्रतिवादियों को 2022-23 की पदोन्नति के लिए याचिकाकर्ता पर विचार करने का निर्देश दिया। यह माना गया कि यदि पदोन्नति पहले ही प्रदान की जा चुकी है तो एक समीक्षा डीपीसी आयोजित की जाएगी और याचिकाकर्ता के मामले पर विचार किया जाएगा।

    Title: Manish Bhargava v the State of Rajasthan & Ors.

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