राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(ई) लागू होने से पहले पार्षद को जारी किया गया चुनाव-पूर्व अयोग्यता का नोटिस वैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

13 Jun 2024 6:18 AM GMT

  • राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(ई) लागू होने से पहले पार्षद को जारी किया गया चुनाव-पूर्व अयोग्यता का नोटिस वैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 (Rajasthan Municipalities Act) की धारा 39(ई) जिसे 13 अप्रैल, 2024 को संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया, जिससे राज्य सरकार को चुनाव-पूर्व अयोग्यता के आधार पर नगर पालिका के सदस्य को हटाने का अधिकार मिल सके, पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं रखती।

    कोर्ट ने कहा,

    “संशोधन 13.04.2023 को किया गया और रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो दर्शाता हो या सुझाव देता हो कि यह संशोधन पूर्वव्यापी तिथि से प्रभावी हुआ है। इसलिए सभी उद्देश्यों के लिए धारा 39 में जो प्रावधान जोड़ा गया है, उसे भावी प्रभाव माना जाएगा।”

    अधिनियम की धारा 39 में नगर पालिका के सदस्य को हटाने के लिए आधार दिए गए हैं। संशोधन के बाद सूची में एक और आधार जोड़ा गया है। धारा 39(ई) के अनुसार, किसी व्यक्ति के चुनाव के बाद यदि राज्य सरकार को पता चलता है कि वह व्यक्ति अधिनियम के तहत योग्य नहीं है और चुनाव याचिका द्वारा चुनाव पर सवाल नहीं उठाया गया और चुनाव याचिका दायर करने की अवधि समाप्त हो गई है, तो वह ऐसे सदस्य को हटा सकती है।

    जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत याचिकाकर्ता को धारा 39 के तहत नोटिस जारी किया गया। नोटिस में याचिकाकर्ता से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया कि उसके खिलाफ धारा 39 के तहत कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

    याचिकाकर्ता पार्षद के रूप में निर्वाचित हुए और उसके बाद नगर परिषद, सिरोही के अध्यक्ष बने। यह नोटिस याचिकाकर्ता के खिलाफ 2021 में दायर आपराधिक शिकायत की पृष्ठभूमि में जारी किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि जब 2019 में चुनाव लड़ा गया तो याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित था, जिसका खुलासा नहीं किया गया।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि चुनाव पूर्व अयोग्यता और विवादों के लिए चुनाव याचिका दायर करने के अलावा अधिनियम के तहत कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, प्रतिवादियों के वकील ने तर्क दिया कि धारा 39 में संशोधन के मद्देनजर, प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    न्यायालय ने पाया कि अधिनियम की धारा 39 में संशोधन का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं है। चूंकि संशोधन से पहले याचिकाकर्ता को धारा 39 के तहत नोटिस जारी किया गया, इसलिए प्रतिवादियों द्वारा की गई कार्यवाही कानून में टिकने योग्य नहीं है।

    तदनुसार, नोटिस रद्द कर दिया गया और उसे अलग रखा गया। हालांकि, प्रतिवादियों को सूचित किया गया कि वे संशोधन के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ नए सिरे से कार्यवाही कर सकते हैं।

    केस टाइटल: महेंद्र कुमार मेवाड़ा बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

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