राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी पति को जमानत दी, कहा- उसने उसे पीटा हो सकता है, लेकिन प्रथम दृष्टया कोई 'उकसाने' का मामला साबित नहीं हुआ
Amir Ahmad
13 March 2025 10:40 AM

पत्नी की आत्महत्या के मामले में आरोपी पति को जमानत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही अभियोजन पक्ष के अनुसार पति पत्नी को पीटता था और उसके साथ दुर्व्यवहार करता था, लेकिन ऐसा कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि उसने अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने या सहायता करने के लिए कोई काम किया हो।
जस्टिस कुलदीप माथुर की पीठ ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि आत्महत्या के लिए उकसाने में किसी व्यक्ति को उकसाने या जानबूझकर किसी को ऐसा करने में मदद करने की मानसिक प्रक्रिया शामिल होती है। पति की ओर से पत्नी की आत्महत्या के लिए ऐसी उकसावे या सहायता को दर्शाने वाला कोई सकारात्मक कार्य न होने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप कायम नहीं रह सकता।
न्यायालय एक पति-आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर दहेज संबंधी हिंसा और अपनी पत्नी की आत्महत्या के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया।
पति की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि पत्नी के साथ “दुर्व्यवहार” करने की संभावना होने के बावजूद रिकॉर्ड पर ऐसा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है, जिससे यह पता चले कि याचिकाकर्ता के पास पत्नी को आत्महत्या करने में सहायता करने या उकसाने का इरादा था।
इसके विपरीत यह तर्क दिया गया कि उसके प्रति पति के व्यवहार के कारण पत्नी अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने की हद तक परेशान और अपमानित महसूस करती है।
तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला यह होने के बावजूद कि पति पत्नी के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करता था, ऐसा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं था, जो आत्महत्या के लिए उकसाने या सहायता करने के लिए इस ओर कोई सकारात्मक कार्य इंगित करता हो, जिसके अभाव में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप कायम नहीं रह सकता।
तदनुसार, जमानत याचिका स्वीकार की गई।
टाइटल: रामनिवास बनाम राजस्थान राज्य