'बेटी पढ़ाओ' अभियान के बावजूद बेटियों की पढ़ाई की अनदेखी: राजस्थान हाईकोर्ट
Praveen Mishra
23 Sept 2025 12:22 AM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति की तबादला स्थगित करने की अर्जी खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी की कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा को देखते हुए मार्च 2026 तक वर्तमान पदस्थापन स्थल पर बने रहने की मांग की थी।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने कहा कि जब केंद्र और राज्य सरकारें “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान चला रही हैं, तब उनके अधिकारी बेटियों की वास्तविक ज़रूरतों के प्रति पूरी तरह उदासीन हैं। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज़रूरी है और यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) का हिस्सा है। यदि कर्मचारियों को मजबूरी में स्थानांतरण झेलना पड़ेगा तो इससे न केवल उनके परिवार पर नकारात्मक असर पड़ेगा बल्कि उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होगी।
राज्य ने तर्क दिया कि ऐसी कई अर्जियां आती हैं और याचिकाकर्ता 23 साल से राजस्थान सर्कल में कार्यरत है, इसलिए उसका तबादला सही है। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि इस स्तर के अधिकारी का राज्य से बाहर तबादला पूरे परिवार को प्रभावित करेगा, खासकर तब जब बच्चा बोर्ड परीक्षा में बैठ रहा हो।
इसलिए हाईकोर्ट ने CAT का आदेश रद्द करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को मार्च 2026 तक जयपुर (राजस्थान सर्कल) में ही कार्य करने दिया जाए। उसके बाद ही उसे स्थानांतरित पद पर भेजा जा सकेगा।
याचिका स्वीकार कर ली गई।

