समान कार्य करने वाले एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच वर्गीकरण अनुचित: राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

20 Oct 2025 7:37 PM IST

  • समान कार्य करने वाले एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच वर्गीकरण अनुचित: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने माना कि समान कार्य करने वाले एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच वर्गीकरण अनुचित है। आयुर्वेदिक डॉक्टर भी सभी परिणामी लाभों के साथ 62 वर्ष की समान बढ़ी हुई सेवानिवृत्ति आयु के हकदार हैं।

    पृष्ठभूमि तथ्य

    याचिकाकर्ता राजस्थान सरकार के आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के अंतर्गत कार्यरत आयुर्वेदिक डॉक्टर है। उन्होंने अपनी रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के संबंध में पूर्व के न्यायिक निर्देशों को लागू करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। राज्य सरकार ने 31.03.2016 से एलोपैथिक डॉक्टरों की रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी, लेकिन आयुर्वेदिक डॉक्टरों को यह लाभ नहीं दिया।

    इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं सहित कई डॉक्टरों ने रिट याचिकाएं दायर कीं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम बनाम डॉ. राम नरेश शर्मा एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने माना कि एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों के बीच ऐसा वर्गीकरण अनुचित है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। अदालत ने निर्देश दिया कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी पेंशन और बकाया राशि के पुनर्निर्धारण जैसे सभी परिणामी लाभों के साथ 62 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने के हकदार हैं।

    राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका 30.01.2024 को खारिज कर दी गई। फिर भी प्राधिकारियों ने अनुपालन में देरी की। याचिकाकर्ताओं ने पूर्व के आदेशों के अनुसार बहाली और आर्थिक लाभ की मांग करते हुए अभ्यावेदन प्रस्तुत किए, लेकिन निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।

    इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना ​​याचिका दायर की।

    याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि प्रतिवादी-राज्य प्राधिकारियों ने अदालत द्वारा पारित निर्णयों का पालन नहीं किया, जिसमें कहा गया कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों के समान 62 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने के हकदार हैं। दूसरी ओर, प्रतिवादियों ने दलील दी कि अदालत के निर्देशों का पर्याप्त रूप से पालन किया गया और निर्णय लेने में समय लगा, क्योंकि इसका प्रभाव पूरे राज्य पर पड़ा।

    अदालत के निष्कर्ष

    उत्तरी दिल्ली नगर निगम बनाम डॉ. राम नरेश शर्मा एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया गया, जिसमें यह माना गया कि आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टरों के बीच रिटायरमेंट की आयु में अंतर करना अनुचित और भेदभावपूर्ण वर्गीकरण है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, क्योंकि दोनों प्रणालियों के तहत डॉक्टर मरीजों का इलाज करने का एक ही कार्य करते हैं।

    यह भी देखा गया कि राज्य को इस निर्णय को लागू करने के लिए समय की आवश्यकता है, क्योंकि इसका राज्यव्यापी प्रभाव है। हालांकि, विशेष अनुमति याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं को बहाल करने में काफी देरी हुई। यह ध्यान दिया गया कि डॉ. रमेश चंद शर्मा बनाम अखिल अरोड़ा एवं अन्य मामले में राज्य ने बहाली आदेश जारी करने में नौ महीने से अधिक का समय लिया, जो प्रक्रियात्मक रूप से विलंबित है।

    विजय प्रकाश गौतम बनाम श्री भवानी सिंह देथा एवं अन्य के मामले पर भरोसा किया गया, जिसमें यह माना गया कि याचिकाकर्ता 60 वर्ष की आयु तक रिटायरमेंट लाभों को बरकरार नहीं रख सकते, जबकि साथ ही 62 वर्ष की आयु तक विस्तारित सेवा अवधि के लिए वेतन भी प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए रिटायरमेंट लाभों को जमा करने के लिए राज्य द्वारा लगाई गई शर्त को अदालत के आदेश की अवज्ञा नहीं माना गया। हालांकि, अदालत ने इन याचिकाकर्ताओं को 60 और 62 वर्ष की आयु के बीच की अवधि के लिए काल्पनिक लाभों के अनुदान हेतु अभ्यावेदन दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान करके राहत प्रदान की और राज्य को कानून के अनुसार ऐसे अभ्यावेदनों पर विचार करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने यह माना कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टर के समान 62 वर्ष की बढ़ी हुई रिटायरमेंट आयु के हकदार हैं। इसलिए पूर्व न्यायिक निर्देशों के अनुपालन में उन्हें सभी परिणामी सेवा और मौद्रिक लाभ प्रदान किए जाने चाहिए।

    उपरोक्त टिप्पणियों और निर्देशों के साथ याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका का निपटारा किया गया।

    Case Name : Dr. Arun Kumar & Ors. vs. State of Rajasthan & Ors.

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