[S.419(4) BNSS] केवल तभी जब शिकायतकर्ता अपराध का पीड़ित न हो, बरी किए जाने के विरुद्ध अपील करने की अनुमति आवश्यक: राजस्थान हाईकोर्ट
Amir Ahmad
9 Oct 2024 2:15 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जहां शिकायतकर्ता अपराध का पीड़ित है, जैसा कि BNSS की धारा 2(Y) के तहत परिभाषित किया गया, उसे बरी किए जाने के विरुद्ध अपील करने की अनुमति मांगने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, जैसा कि BNSS की धारा 419(4) के तहत प्रावधान किया गया।
धारा 419(4), BNSS यह प्रावधान करती है कि ऐसी स्थिति में जहां किसी मामले में बरी किए जाने का आदेश पारित किया जाता है, शिकायतकर्ता हाईकोर्ट द्वारा उस प्रभाव के लिए अपील करने की विशेष अनुमति दिए जाने के बाद हाईकोर्ट में उसके विरुद्ध अपील कर सकता है।
जस्टिस बीरेंद्र कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि धारा 419(4) के तहत शिकायतकर्ता द्वारा अपील की अनुमति की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में, जहां शिकायतकर्ता पीड़ित नहीं है। चूंकि आपराधिक कार्यवाही किसी भी संज्ञेय अपराध के होने की जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा शुरू की जा सकती है। इसलिए यदि कोई शिकायत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दर्ज की जाती है, जो पीड़ित नहीं है तो ऐसे व्यक्ति को इस प्रावधान के तहत अपील की अनुमति की आवश्यकता होगी।
न्यायालय शिकायतकर्ता द्वारा दायर अपील की अनुमति के लिए आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जो चेक अनादर के एक मामले में पीड़ित था। प्रतिवादी को आरोप से बरी कर दिया गया।
न्यायालय ने पाया कि आवेदक धारा 2(Y) BNSS के तहत पीड़ित था। इस प्रकार अपील संबंधित जिला और सेशन जज के समक्ष दायर की जानी चाहिए थी। न्यायालय ने धारा 413 BNSS का हवाला दिया और माना कि धारा 413, BNSS के अनुसार अपीलीय फोरम के समक्ष अपील करने के लिए पीड़ित को किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
न्यायालय ने मल्लिकार्जुन कोडागली बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य तथा जोसेफ स्टीफन एवं अन्य बनाम संथानसामी एवं अन्य के सुप्रीम कोर्ट के मामलों का भी उल्लेख किया और कहा कि इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि पीड़ित को अपील करने का वैधानिक अधिकार है। इसलिए उसे अपील के लिए विशेष अनुमति देने की आवश्यकता नहीं है।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि अपील की अनुमति शिकायतकर्ता को चाहिए जो पीड़ित नहीं है, उसने कहा,
“कानून में यह अच्छी तरह से स्थापित है कि कोई भी व्यक्ति आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकता है, अगर उसे किसी संज्ञेय अपराध के होने का ज्ञान है तो ऐसा कदम पुलिस में एफआईआर दर्ज करके या मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत याचिका दायर करके उठाया जा सकता है। अगर ऐसा शिकायतकर्ता ऊपर परिभाषित पीड़ित नहीं है तो उसे बरी किए जाने के खिलाफ अपील करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष अनुमति आवेदन प्रस्तुत करना होगा।"
यदि शिकायतकर्ता अपराध का शिकार है तो उसे धारा 413 BNSS के प्रावधान के तहत बरी किए जाने, कमतर अपराध के लिए दोषसिद्धि या अपर्याप्त मुआवजा लगाए जाने के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा।
आवेदक को संबंधित सेशन जज के समक्ष अपील पेश करने के लिए कहा गया। अपील की अनुमति का निपटारा किया गया।
केस टाइटल: अशराज स्टोन प्राइवेट लिमिटेड बनाम कारव इंटरनेशनल