केंद्र सरकार को दावा करने की बजाय सैनिकों को सक्रिय रूप से पेंशन देनी चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Shahadat

2 Sept 2025 10:43 AM IST

  • केंद्र सरकार को दावा करने की बजाय सैनिकों को सक्रिय रूप से पेंशन देनी चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को सैनिकों से दावा करने की अपेक्षा करने के बजाय युद्ध क्षति पेंशन प्रदान करने में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

    न्यायालय ने केंद्र सरकार के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि दावा 48 वर्षों की देरी के बाद किया गया।

    जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने कहा,

    "चूंकि यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रतिवादी नंबर 1 (सैनिक) को वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेते समय चोट लगी थी, जिसकी पुष्टि मेडिकल बोर्ड ने भी की है। उक्त दिव्यांगता प्रतिवादी नंबर 1 (सैनिक) को सेवा से अयोग्य घोषित करने का एक कारण थी। इसलिए सरकार को ऐसे दिव्यांग सैनिक को युद्ध क्षति पेंशन का उक्त लाभ प्रदान करने के लिए स्वयं आगे आना चाहिए था, न कि सैनिक से पात्रता के लिए दावा करने की अपेक्षा करनी चाहिए थी।"

    न्यायालय केंद्र सरकार द्वारा सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध में हुई युद्ध क्षति के दावे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया।

    प्रस्तुतियों पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा,

    "भारत संघ द्वारा 48 वर्षों की देरी का तर्क उस सैनिक को पेंशन का लाभ देने से इनकार करने के लिए दिया गया, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में राष्ट्र के लिए लड़ते हुए दिव्यांगता का शिकार हुआ था। इस तथ्य का खंडन नहीं किया गया।"

    न्यायालय ने कहा,

    "सैनिक को पुरस्कृत करने या घायल सैनिक की देखभाल करने के बजाय यह आपत्ति उठाई गई कि 48 वर्षों की देरी के कारण प्रतिवादी नंबर 1 का युद्ध क्षति पेंशन के लिए कानून के तहत हकदार दावा निरस्त हो जाना चाहिए।"

    न्यायालय ने यह भी कहा कि सैनिक ने 2023 में पारित उस निर्देश को लागू करने के लिए हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, जिसमें बकाया राशि जारी करने का अनुरोध किया गया।

    उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर न्यायाधिकरण द्वारा सैनिक के पक्ष में दिए गए लाभ जारी किए जाएं, "ऐसा न करने पर यदि कोई अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जाती है तो संबंधित दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

    Title: UNION OF INDIA v. NISHAN SINGH AND ORS

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